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मध्यप्रदेश

1951#भारतीय_संसद_मेंहिन्दू

Shubham bhilala
Last updated: 2025/02/06 at 11:03 AM
Shubham bhilala
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20 Min Read
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महिला_सशक्तीकरण_बिल

विशेष:-सर्व समाज की महिलाओं के अधिकारों के रक्षक सामाजिक क्रांति के अग्रदूत बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चरणों में शत्-शत् नमन करता हूँ, सम्मानित साथियो आज ही के दिन परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबासाहेब

Contents
महिला_सशक्तीकरण_बिल ’बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने 27 सितंबर को हिन्दू कोड बिल न पेश हो पाने के कारण कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया !

डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी प्रथम कानून मन्त्री के रूप में महिलाओं को समाज में सामाजिक बराबरी, शिक्षा, आर्थिक उन्नति दिलाने के लिए 05, फरवरी,1951 को भारतीय संसद में हिन्दू कोड बिल (महिला सशक्तीकरण बिल ) पेश किया था ! जोमहिलाओं के हितों और उनके अधिकारों का रक्षक था

!ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिख कर कुछ बन जाओ तो कुछ समय, ज्ञान, बुद्धि पैसा, हुनर उस समाज को देना जिस समाज के लिए तुम आये हो, *शिक्षित हो !! संगठित हो !! संघर्ष करो !!*नमो बुद्धाय जय भीम

जय भारत !!जागो बहुजन समाज जागो अपने इतिहास को पढ़ो !!बहुजन समाज के सम्मानित साथियो एवं माताओं बहिनों को सबसे पहले मैं आप लोगों को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू करवाना चाहता हूँ ! जिससे आपलोग शायद अनिभिज्ञ हो आज हम बात कर रहे हैं भारतवर्ष की

समस्त महिलाओं के हितों का रक्षक हिंदू कोड बिल (महिला सशक्तिकरण बिल) की आओ जाने इस लेख के माध्यम से:-आज अगर भारत की महिलाएं आज़ाद हैं समता समानता के अधिकार मिले हुये हैं, तो उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ बाबा

साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को जाता है !आज जो भारतवर्ष की महिलाओं को 33% आरक्षण मिल रहा है और भारतवर्ष की महिलाओं को मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सांसद, विधायक, डाक्टर, एसपी, डीएम बन रही हैं तो ये सिर्फ और सिर्फ परम पूज्य बोधिसत्व, भारिरत्न,

भारतीय संविधान के शिल्पकार बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के संघर्षो, अधिकारों की बदौलत सम्भव हुआ है ! अगर अम्बेडकर जी न होते तो हम महिलाओं के अधिकार, स्वाभिमान, मान सम्मान, समानता की आजादी न होती !धन्य है माँ भीमाबाई व पिता सुबेदार मेजर रामजी

सकपाल जिन्होंने भीमराव अम्बेडकर जैसे बेटे को जन्म दिया ! जिसने अपने त्याग समर्पण से बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को महान बना दिया !सम्मातनि साथियों इतने बड़े संघर्षों की बदौलत सर्वसमाज की महिलाएं और बहुजन समाज सम्मान के साथजी रहे हैं !

आज भी करोडों ऐसे लोग जो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी माता रमाबाई अंबेडकर जी के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बडे चाव और मजे से खा रहे हैं । ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है। जो उन्हें ताकत, पैसा, इज्जत, मान-सम्मान मिला है। वो उनकी बुद्धि

और होशियारी का नहीं है। परम पूज्य बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के संघर्षों की बदौलत है !साथियों हमें ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताये हुए मार्ग का अनुसरण करनाचाहिए .! बहुजन महानायक बाबा

साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने वह कर दिखाया जो उस दौर में सोच पाना भी मुश्किलल था ! हमारे मशीहा बाबा साहेव डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को जो करना था समाज के प्रति वो कर गये, लेकिन जो हमें और हमारे समाज के लोगों को करना है वो हम नहीं कर रहे हैं !परम पूज्य बोधिसत्व

, भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी महिलाओं की उन्नति के प्रबल पक्षधर थे! उनका मानना था कि किसी भी समाज का मूल्यांकन इस बात से किया जाता है.! कि उसमें महिलाओं की क्या स्तिथि है ? दुनियां की लगभग आधी

आबादी महिलाओं की है, इसलिए जब तक उनका समुचित विकास नहीं होता कोई भी देश चहुमुखी विकास नहीं कर सकता ! बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का महिलाओं के संगठन में अत्यधिक विकास था !उनका कहना

था कि यदि महिलाएं एक जुट हो जायें तो समाज को सुधारने के लिए क्या नहीं कर सकतीं हैं ? वे लोगों से कहा करते थे कि महिलाओं और अपने बच्चों को शिक्षित कीजिए। उन्हें महत्वाकांक्षी बनाइए। उनके दिमाग में यह बात डालिए

कि महान बनना उनकी नियति है! महानता केवल संघर्ष और त्याग से ही प्राप्त हो सकती है ! वायसराय की कार्यकारिणी परिषद में श्रम सदस्य रहते हुए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने प्रथम बार महिलाओं के लिए प्रसूति अवकाश (मैटरनल लिव) की व्यवस्था की !बाबा साहेब

जी ने संविधान में सभी नागरिकों को बराबर का हक दिया गया है ! भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में यह प्रावधान है कि किसी भी नागरिक के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता .!आजादी मिलने के साथ ही

महिलाओं की स्थिति में सुधार शुरू हुआ.! स्वतन्त्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिये कई कदम उठाए।सन् 1951 में उन्होंने हिन्दू कोड बिल’ संसद में पेश किया ! डॉ. अंबेडकर का मानना था कि सही मायने में प्रजातन्त्र जब महिलाओं को पैतृक

संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिये जाएंगे। उनका दृढ़ विकास कि महिलाओं की उन्नति तभी संभव होगी जब उनके घर परिवार और समाज में बराबरी का दर्जा मिलेगा। शिक्षा और आर्थिक तरतरक्की उन्हें सामाजिक बराबरी दिलाने में मदद करेगी !

डॉ. अम्बेडकर जी प्राय: कहा कि मैं हिन्दू कोड बिल पास कराकर भारत की समस्त नारी जाति का कल्याण करना चाहता हूँ,, मैने हिन्दू कोड विल पर् विचार होने बाले दिनों में पतियों द्वारा छोड दी गई अनेक युवतियों और प्रौढ़ महिलाओं को देखा। उनके पतियों ने उनके जीवन – निर्वाह के लिए

नाममात्र का चार – पांचरुपये मासिक गुजारा बांधा हुआ था। वे औरतें ऐसी दयनीय दशा के दिन अपने माता – पिता, या भाई – बंधुओं के साथ रो – रोकर व्यतीत कर रही थी।उनके अभिभावकों के हृदय भी अपनी ऐसी बहनों तथा पुत्रियों को देख – देख कर शोकसंत्रप्त रहते थे। बाबा साहेब का करुणामय हृदय ऐसी स्त्रियों की करुणगाथा सुनकर पिघल जाता था।कुछ लोगों के

विरोध की वजह से हिन्दू कोड बिल उस समय संसद में पारित नहीं हो सका, लेकिन बाद में अलग – अलग भागों में जैसे हिन्दू विवाह कानून को उत्तराधिकार कानून और हिन्दू गुजारा एवं गोद लेने सम्वन्धी कानून केरूप में अलग – अलग नामों से पारित हुआ, जिसमें महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिये गए।लेकिन बाबा साहेब डॉ

. भीमराव अम्बेडकर जी का सपना सन् 2005 में साकार हुआ जब संयुक्त परिवार में पुत्री को भी पुत्र के समान कानूनी रूप से बराबर का भागीदार माना गया। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पुत्री विवाहित है, या अविवाहित हर लडकी को लडके के ही समान सारे अधिकार प्राप्त हैं । संयुक्त परिवार संपत्ति का विभाजन होने पर पुत्री को भी

पुत्र के समान बराबर काहिस्सा मिलेगा चाहे वो कहीं भी हो। इस तरह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में डॉ. अम्बेडकर जी ने बहुत सराहनीय काम किया।वयस्क मताधिकार भी डॉ. अम्बेडकर जी का ही विचार था जिसके लिए उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन से लेकर बाद तक लडाई लडी। इसका उस सम

य विरोध किया गया था। उस समय यूरोप में महिलाओं और अमेरिका में अश्वेतों को मताधिकार देने पर बहस चल रही थी। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने वोटडालने के अधिकार

के मुद्दे को आगे बढ़ाया। उन्होंने निर्वाचन सभा के सदस्यों को चेताया था कि भारतीय राज्यों को एक जगह लाने की उत्सुकता में वह लोकतन्त्र के मूल सिद्धांतों से समझौता न करें। बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने संरक्षण आधारित लोकतन्त्र के लिए अधिकारों वाले लोकतन्त्र को चुना !

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को केवल किसी विषेश वर्ग या जाति की महिलाओं के हितों की चिन्ता नहीं थी ! वे सभी जातियों व वर्गों की महिलाओं के हितों का संरक्षण चाहते थे ! बाबा साहेब का मानना था देश की तरक्की के लिए देश के हर वर्ग को समानता का अधिकार मिलना जरूरी है। अपने बिल में महिलाओं को तलाक देने के प्रस्ताव के अलावा विधवा और बेटी को संपति में अधिकार देने का प्रस्ताव रखा था।

इसमे बिना वसीयत किए म्रत्यु को प्राप्त हो जाने वाले परूष और महिलाओं को संपत्ति के बंटवारे के संबंध में कानूनों संहिता बुद्ध किये जाने का प्रस्ताव था।

यह विधेयक म्रतक के पुत्री और पुत्र को संपति में बराबर का अधिकार देता था। इसके अतिरिक्त, पुत्रियों को उनके पिता की संपति में अपने भाईयो के बराबर हिस्सा प्राप्त होता था।#इस_बिल_में_आठ_अधितनयम_बनाए_गए

1- हिन्दु विवाह अधिनियम !

2- विशेष विवाह अधिनियम

!3- गोद लेना दत्तकग्रहण अल्पायु – संरक्षिता अधिनियम !

4- हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम !

5- निर्बल तथा साधनहीन परिवार के सदस्यों का भरन-पोषण अधिनियम !

6- अप्राप्तवय संरक्षण सम्बन्धी अधिनियम !

7- उत्तराधिकारी अधिनियम !

8- हिन्दुविधवा को पुनर्विवाह अधिकार अधिनियम !इसमें हिन्दू पुरुष द्वारा एक से अधिक

महिलाओं से शादी करने पर प्रतिबंध और अलगाव संबंधी प्रावधान भी थे.बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने महिला सशक्तीकरण के लिए कई कदम उठाये।महिलाओं को और अधिक अधिकार देने तथा उन्हें सशक्त बनाने के लिए ही सन 1951 में उन्होंने हिन्दू कोड बिल’ संसद में पेश किया.! बाबा साहेब अम्बेडकर जी का मानना था कि सही मायने में प्रजातन्त्र तभी आयेगा

जब महिलाओं को पैत्रक संपति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिये जाएंगे. डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी का दृढ विश्वास था कि महिलाओं की उन्नति तभी संभव होगी जब उन्हें घर परिवार और समाज में सामाजिक बराबरी का दर्जा मिलेगा. शिक्षा और आर्थिक उन्नति सामाजिक बराबरी दिलाने में मदद करेगी !बाबा साहेब जी ने संविधान

मे महिलाओं को सारे अधिकार दिये लेकिन अकेला संविधान या कानून लोगों की मानसिकता को नहीं बदल सकता, पर सच है कि यह परिवर्तन की राह तो सुगम बनाता ही है। हिन्दू समाज मेंक्रांतिकारी सुधार लाने के लिए देश के प्रथम कानून मंत्रीके रूप में अम्बेडकर जी ने हिन्दू कोड बिल लोकसभा मेंपेश किया !दरअसल, हिन्दू कोड बिल पास कराने के पीछे

अम्बेडकर जी की हार्दिक, इच्छा कुछ ऐसे बुनियादी सिद्धांत स्थापित करने की थी, जिनका उल्लंघन दंडनीय अपराध बन जाए। मुसलमान, स्त्रियों के लिए विवाह विच्छेद (तलाक) का अधिकार, हिंदूू कानून के अनुसार विवाहित व्यक्ति के लिए एकाधिक पत्नी रखने पर प्रतिबंध और विधवाओं तथा अविवाहित कन्याओं को बिना

शर्त पिता या पति की संपति का उत्तराधिकारी बनने का हक। उनका आग्रह था कि हिन्दू कानून में अंतरजातीय विवाह को भी मान्यता दी जाए ! इस तरह हिन्दू कोड बिल महिलाओं को पारंपरिक बंधनों से मुक्ति दिलाने की और उठाया गया एक ऐसा कदम था जो अन्त में हिन्दू समाज को जाति और लिंग के कारण पैदा हुयी असमानता से मुक्त करा सकता था !बाबा साहेब डॉ.

भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा अंतरजातीय विवाहों को हिन्दू कानूनों के तहत मान्यता दिलाने की कोशिश भी समाज को जाति मुक्ति बनाने की योजना का ही एक अंग थी ! बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने जैसे हिन्दूकोड बिल को संसद में पेश किया। संसद के अंदर और बाहर विद्रोह मचगया ! संसद के अंदर भी काफी विरोध हुआ

! बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी हिन्दू कोड बिल पारित करवाने को लेकर काफी चिन्तित थे। समर्थन नहीं मिल पा रहा था वह अक्सर कहा करते थे कि :- मुझे भारतीय संविधान के निर्माण से अधिक दिलचस्पी और खुशी हिन्दू कोड बिल पास कराने में है।’’ सच तो यह है कि हिन्दू कोड बिल के जैसा महिला हितोंकी रक्षा करने वाला विधान बनाना

भारतीय कानूनके इतिहास की मत्वपूर्ण घटना है, धर्म भ्रस्ट होने की दुहाई देने वाले विद्वानों की विशेष बैठक अंबेडकर जी ने बुलाई। विद्वानों को तर्क की कसौटी पर कसते समझाया कि हिन्दू कोड बिल पास हो जाने से धर्म नष्ट नहीं होने बाला है।’

’बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने 27 सितंबर को हिन्दू कोड बिल न पेश हो पाने के कारण कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया !

भारतीय संविधान में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने उस समय भारतीय महिलाओं को वो सभी आधुनिक दे दिये जो यूरोप और अमरीका में भी नही थे, उन्होंने अधिकार दे दिए जिनकी मांग भी नहीं की थी तब तक महिलाओं, उन्होने वो अधिकार भी महिलाओं को दे दिए जिनके लागू होने बाले प्रभाव नहीं जानती थी महिलाएं भारतीय संविधान की ये शानदार उपलब्धि है कि बिना किसी नारीवादी आंदोलन

, प्रदशन, संघर्ष, के सिर्फ इन्साफ पसंदी और बराबरी के सिद्धांत पर बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने एक ऐसा विज़न डॉक्यूमेंट तैयार किया जो अपने सार में आने वाले कल के तक़ाज़ों का जवाब रखता है ! अगर हिन्दू कोड बिल के लिए बाबा साहेब डॉ.

भीमरावअम्बेडकर जी जातिवादी नारी के अधिकारों के विरोधी मठाधीशों से ना लडे होते तो आज भारतवर्ष की समस्त महिलाओं का कोई वजूद न होता

.!! जिसको जवानी में चमचागीरी की लत लग जाए उसकी सारी उम्र दलाली में गुजर जाती है.!मां कांशीराम साहब जी बाद में सन 1955-56 में हिन्दू कोड बिल को कई टुकडों में से हिन्दू विवाह कानून हिन्दू उत्तराधिकार का हिन्दू

गोद एवं गुजारा भत्ता कानून जैसे नामों से पास किया गया. इन कानूनों को पारित करवाने में भी डॉ. अम्बेडकर ने अहम भूमिका निभाई. उन्होनें तत्कालीन कानून मंत्री श्री पाटस्कर को हिन्दू कोड बिल की एक-एक धारा को विस्तार से समझाकर और उसके विरोध में दी जाने वाली दलीलों के जवाब पहले से तैयार करके उनकी बहुत सहायता की डॉ.

अम्बेडकर जी का सपना पूरी तरह तब शाकार हुआ जब सन् 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार कानून में संशोधन करके पुत्री को भी पुत्र के समान पैत्रक संपति में बराबर का अधिकार दिया गया।बाबा साहेब ने अपने जीवन काल में तमाम पदों पर रहते हुए देश के हर वर्ग के लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए अनेक काम किया. उन्होने श्रमिकों के लिये कानून बनवाया, देश के किसानों की बेहतरी के लिए प्रयास किया,

महिलाओं के हक की आवाज उठाई, नौकरीपेशा लोगों के सहूलियत की बात की और उनके अधिकारों के लिए लडकर उन्हें अधिकार भी दिलवाया. लेकिन यह इस देश का दुर्भाग्य कि डॉ. अम्बेडकर जी के जैसा महान व्यक्त्तित्व द्वारा किए गए इन कामों से लोग आज भी अज्ञान हैं। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के जीवन के कई आयाम थे, जिन्हे हर किसी को जानने की जरूरत है.!

बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता

… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है” इसलिए मैं निशा राज अम्बेडकर जनपद- फ़िरोज़ाबाद आप सभी बहुजनों को इतिहास के उन पन्नों से रूबरू कराने की कोशिश कर रही हूँ । जिन पन्नों से बहुजन समाज का सम्बन्ध है। जो पन्ने गुमनामी के अंधेरों में कहीं खो गए, और उन पन्नों पर धूल जम गई है,

उन पन्नों से धूल हटाने की कोशिश कर रही हूँ। इस मुहिम में आप सभी बहुजनों मेरा साथ दे सकते हैं !*पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है !*इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है, कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना

एक सबसे बड़ा कारण है, इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं, जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए,,,एक बार पुनः सर्व समाज की महिलाओं के अधिकारों के रक्षक सामाजिक क्रांति के अग्रदूत बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के चरणों में, एवंउन तमाम बहुजन नायकों एवं महान वीरांगनाओं को मैं कोटि-कोटि

नमन करता हूँ। जय रविदास, जय कबीर, जय भीम, जय नारायण गुरु, जय सावित्रीबाई फुले, जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी, जय ऊदा देवी पासी जी, जी झलकारी बाई, जय बिरसा मुंडा, जय बाबा घासीदास, जय संत गाडगे बाबा, जय पेरियार रामास्वामी नायकर, जय छत्रपति शाहूजी महाराज, जय शिवाजी महाराज, जय काशीराम साहब, जय मातादीन भंगी

जी, जय कर्पूरी ठाकुर, जय बहुजन सामाज, जय पेरियार ललई सिंह यादव, जय मंडल, जय हो उन सभी गुमनाम

बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी, स्वाभिमान से जीना सिखाया !!दलित दस्तक, बहुजन समाज और उसकी राजनिति, मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट)𝙅𝘼𝙔 𝘽𝙃𝙄𝙈✺𝙅𝘼𝙔 𝘽𝙃𝘼𝙍𝘼𝙏✺𝙅𝘼𝙔 𝙎𝘼𝙉𝙑𝙄𝘿𝙃𝘼N

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