बिहार

बाजारों के दुकानदारों में पारदर्शिता और ईमानदारी का घोर अभाव प्रदीप कुमार नायक

राजनगर (मधुबनी ) क्षेत्र के बाजारों में खाने पिने से सबंधित सामानो की शुद्धता, गुणवता अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद उसे खुलेआम बेचा जा रहा है!एक ओर अधिकांश दुकानदारों में इस मामले में पारदर्शिता और ईमानदारी का घोर अभाव है, वही दूसरी ओर स्वयं सेवी उपभोक्ता संरक्षण संगठन के अभाव एवं निष्क्रियता से उपभोक्ता अपने अधिकार और कर्तव्य से बिलकुल अनभिज्ञ है!इसी वजह से उपभोक्ता कोई खाद्यय पदार्थ एवं पेय द्रव्य लेने से पहले उस पर लिखी हुई निर्माण तिथि और आखिरी तिथि देखने और परखने का कोई प्रयास नहीं करते।

बताया जाता है की विभिन्न प्रकार के मीठे एवं नमकीन बिस्कुट, टांफी, डिब्बा बंद रस गुल्ला, सन पापड़ी, गुलाब जामुन, अमूल स्प्रे, हार्लीक्स, लेकटोजेंन जैसे दुग्ध सामग्री एवं शीतल पेय जल जिनकी गुणवत्ता छह माह तथा अधिक से अधिक एक वर्ष तक ही बरकरार रहती है एवं इस अवधी में समाप्ति के उपरांत वह बेकार हो जाता है!ऐसी सामग्री को कुछ दुकानदार बेखौफ़ बेचने से बाज नहीं आ रहे है!बताया जाता है की ऐसी सामानो की अधिकता हो जाने पर दुकानदार उसे लौटा देने के बदले शादी व्याह तथा अनेक अवसर पर धड़ल्ले से बेच देते है तथा बेचकर मालामाल हो रहे है!चुकी अवधि समाप्त सामाग्रीयों का मूल्य शून्य हो जाता है।

परन्तु उसके बाबजूद विक्रेता उसे प्रिंट रेट पर बेचने में सफल हो जाते हैं । ऐसी सामानो की बिक्री ज्यादातर देहाती तथा अनपढ़ क्षेत्रों के उपभोक्ताओं से करने का प्रयास किया जाता है, जो की ज्यादातर भोले भाले ग्रामीण होते है। यहाँ शहरों की तुलना में भेद खुलने की कम खतरा रहता है!हालांकि ऐसे सामान में न तो दुकानदार द्वारा कैशमेमो दिए जाते है और न ही उपभोक्ताओं द्वारा मांगने का कोई प्रयास ही होता है!यही कारण है की स्वास्थ्य बिगाड़ने वाले सौदागर क़ानून के दायरे में नहीं आते है।

इस तरह के मामले में हालांकी कुछ क़ानून पसंद लोग उपभोक्ता फोरम में लाने की कवायद शुरू करते है। परन्तु शुरूआती दौर में ही लोगों के उपहास वे बन जाते है!क्योंकि आम लोगों की नजर में यह कोई खास मामला नहीं होता है!इस तरह जागरूक उपभोक्ताओं का मनोबल लोगों द्वारा ही तोड़ देने एवं बेकार सा सामानो का बिक्री बेरोकटोक जारी रखने से ही हो रहा है!मिली जानकारी के मुताबिक विभिन्न प्रकार के मीठे एवं नमकीन बिस्कुट, टांफी, भुजिया,तथा डिब्बा बन्द मसाला, रस गुल्ला, गुलाब जामुन, सन पापड़ी, पेड़ा, अमूल स्प्रे, हार्लीक्स, लेकटोजेंन, सेरेलांक जैसे दुग्ध, टूथ पेस्ट, टूथ पाउडर, सौंदर्य प्रशाधन, दबाई यहाँ तक की चायपत्ती वगैरह एक्सपायर तथा बेकार हो जाने के पश्चात् भी भोले भाले उपभोक्ताओं के हाथों बिक्री कर दी जाती है।

जिनकी थोड़ी भी भनक जिज्ञासा के अभाव में उपभोक्ताओं को लग ही नहीं पाती है। बताया जाता है की ऐसी नाज़ायाज एवं स्वास्थ्य विरोधी हरकत को रोकने के लिए सरकारी मशीनरी बेकार साबित हो रही है!कुछ निहित स्वार्थी दुकानदारों एवं बाजार से सबंधित पदाधिकारियों के बीच कथित उपहारो के आदान प्रदान के कारण इन बातो को नजर अंदाज कर दिया जाता है।

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