मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स के पार्ट-1 में आपने पढ़ा कि किस तरह उदयन के झांसे में आकर आकांक्षा ने अपना घर छोड़ा और वो उसके साथ भोपाल आ गई। बड़े-बड़े सपने दिखाकर उदयन ने आकांक्षा को अपनी तरफ आकर्षित किया था।
मगर उसके सपने पूरे नहीं हुए और इस बीच वो लापता हो गई।बंगाल पुलिस उसकी मोबाइल लोकेशन के आधार पर भोपाल आई। यहां उसके साथी उदयन तक पहुंची। उसे हिरासत में लिया। उदयन ने पुलिस को जो बात बताई उसे सुनकर पुलिस के होश उड़ गए। उदयन ने आकांक्षा की हत्या कर उसकी लाश को एक संदूक में बंद कर दिया था। उस संदूक के ऊपर सीमेंट का चबूतरा बना दिया था।
पुलिस ने आठ घंटे की खुदाई के बाद चबूतरे से लाश बाहर निकाली। इसके बाद पूछताछ में उदयन ने जो राज खोले वो और भी खौफनाक थे।आंकक्षा जान गई थी उदयन की असलियतपुलिस ने उदयन के घर से आकांक्षा की लाश बरामद कर ली थी। अब पुलिस ने उदयन से सिलसिलेवार तरीके से पूछताछ की।
उसने बताया कि 14 जुलाई 2016 को ही उसने आकांक्षा की हत्या कर दी थी। ये सुनकर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए क्योंकि साढ़े सात महीने बाद पुलिस ने आकांक्षा की लाश को बरामद किया था।अधिकारियों ने उदयन से पूछा कि उसने आकांक्षा को क्यों मारा? उदयन ने बताया कि 24 जून को आकांक्षा उसके साथ
भोपाल आई तो उनके रिश्तों में खटास आ गई थी। दरअसल, आकांक्षा को उदयन की सच्चाई का पता चल गया था। वो समझ गई थी कि उदयन एक धोखेबाज है। वह न तो कभी अमेरिका गया और न ही उसके पास अमेरिकी नागरिकता है।उदयन ने आकांक्षा को अमेरिका में नौकरी का जो ऑफर लैटर दिया था वो भी नकली था।
आकांक्षा ने तय कर लिया था कि वह अपने घर बांकुरा लौट जाएगी। उसने घर जाने के लिए ट्रेन की टिकट भी बुक करा ली थी। उदयन को उसके वापस जाने की भनक लग गई। उसने आकांक्षा को समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानी।वॉकिंग डेथ सीरियल देखकर मिला दफनाने का आइडिया15 जुलाई की सुबह वह आकांक्षा के सीने पर बैठ गया
और तकिए से उसका तब तक मुंह दबाया जबतक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं। इसके बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने हाथ से उसका गला घोंट दिया। जब उसका गुस्सा शांत हो गया तो वो दो दिन तक आकांक्षा के जिंदा होने का इंतजार करता रहा।जब आकांक्षा की डेड बॉडी से बदबू आने लगी तो उदयन ने एक पुराने बक्से को खाली कर उसमें शव डाल दिया। उसने बॉक्स में सीमेंट का घोल भर दिया।
फिर उसे एक सीमेंट के चबूतरे में दफन कर दिया। उदयन ने बताया कि शव काे बॉक्स में दफनाने का आइडिया इंग्लिश चैनल पर “वॉकिंग डेथ” सीरियल से मिला था।इसमें उसने एक ऐसी ही मर्डर मिस्ट्री देखी थी। हत्या के बाद वह चबूतरे पर ही गद्दा बिछाकर सो जाता था। चबूतरे पर परफ्यूम भी छिड़कता था।गर्लफ्रेंड की हत्या की गुत्थी सुलझी मगर माता-पिता कहां थे?लापता आकांक्षा की गुत्थी सुलझ चुकी थी, लेकिन
उदयन के माता-पिता कहां है? ये सवाल अभी भी बना हुआ था। पुलिस ने उदयन से उसके माता-पिता के बारे में पूछा तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाया। कहने लगा कि मां अमेरिका में रहती है और पिता की बीमारी के कारण डेथ हो चुकी है।इस पर पुलिस अफसरों ने मां का पता, फोन नंबर पूछा। उसकी मां से कब बात होती है? इस संबंध में पूछताछ की।
उदयन पुलिस को गुमराह करने लगा। पुलिस अधिकारियों को शक हुआ और उन्होंने सख्ती से उदयन से पूछताछ की। इस पर वो टूट गया। पूछताछ में उसने जो खुलासा किया वो जानने के बाद पुलिस वाले भी दंग रह गए।…..सात साल पहले मां-बाप की हत्या कर चुका था उदयनउदयन ने बताया कि वह 2010 में ही मां इंद्राणी और पिता बीके दास की गला घोंटकर हत्या कर चुका है। पुलिस ने पूछा कि शव कहां है
? तो उसने बताया कि रायपुर वाले मकान के गार्डन में उन्हें दफना दिया है। भोपाल पुलिस ने ये सूचना रायपुर पुलिस को दी और उदयन को लेकर पुलिस रायपुर पहुंची।पढ़ाई के लिए डांटने पर माता-पिता को मार डालाउदयन की बताई जगह पर पुलिस ने खुदाई की। वहां उसे दो कंकाल मिले।
कंकाल के सिर पर जूट के बोरे और कपड़ा बंधा हुआ था। उदयन ने बताया कि शवों को दफनाने से पहले उसने ऐसा किया था, ताकि थोड़ी भी सांस चल रही हो तो वह बंद हो जाए।उदयन ने पुलिस को बताया कि 2010 अगस्त का महीना था। एक रात बारिश हो रही थी। पढ़ाई को लेकर पिता वीरेंद्र दास ने उसे डांटा। इससे वह नाराज हो गया। उसने पहले पिता वीरेंद्र दास को गला दबाकर मारा।
बाद में मां इंद्राणी दास का भी गला दबा दिया। दोनों के शव को कमरे में ले गया। रातभर शव के पास बैठा रहा।सुबह सेप्टिक टैंक खोदने के नाम पर मजदूर बुलाया। मुकेश यादव नाम के मजदूर ने गार्डन में गड्ढा खोदा। देर रात उदयन ने वीरेंद्र और इंद्राणी के शव को गड्ढे में दफना दिया। कुछ दिन बाद परिचित संदीप श्रीवास्तव से संपर्क कर मकान बेचने के लिए कहा। सुरेश दुआ के नाम से पावर ऑफ अटार्नी
बनाई गई।साल 2020 में हुई उम्र कैद की सजापुलिस ने आकांक्षा की हत्या के मामले में जांच के बाद अप्रैल 2017 में कोर्ट में चालान पेश किया। उदयन ने हत्या भोपाल और रायपुर में की थी। आकांक्षा की गुमशुदगी का केस बांकुरा में दर्ज हुआ था इसलिए बांकुरा की फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस की सुनवाई हुई।
मामले में उदयन को फांसी की सजा देने की मांग की गई।अगस्त 2020 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। 30 वर्षीय उदयन दास को दोषी माना और उम्र कैद की सजा सुनाई। हत्या के लिए 20 हजार रुपए का जुर्माना और उम्र कैद की सजा के साथ सबूतों से छेड़छाड़ के लिए 2 हजार रुपए का जुर्माना और दो साल की कैद की सजा अलग से सुनाई गई