नीमच

अर्पित विक्टर चला रहा था तेज स्पीड से वर्ना कार, कैंट पुलिस ने अब तक नहीं किया नामजद प्रकरण दर्ज

कबीर मिशन समाचार।

मामला— गोमाबाई रोड पर भीषण हादसे को कारित करने वाले प्रापर्टी व्यवसायी के रिश्तेदार को बचाने के प्रयास का

नीमच। शहर के गोमाबाई रोड तेज स्पीड से वर्ना कार चलाकर स्कूटी पर सवार दो युवतियों को भीषण टक्कर मारने वाले चालक को अब तक नीमच कैंट पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है और न ही नामजद प्रकरण दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि प्रापर्टी व्यवासायी का रिश्तेदार अर्पित विक्टर कार को चला रहा था और यह कार उसके पिता शैलेंद्र विक्टर के नाम से रजिस्टर्ड है। कार चालक को बदलने की चर्चा जोरो पर है,क्योंकि मामला रसूखदार से जुडा होने के कारण पुलिस की ढील के कारण कई सवाल उठ रहे है। इधर दुर्घटना में घायल युवतिया जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है और उनके परिजन भी ज्ञापन देकर दोषी के खिलाफ कडी कार्रवाई किए जाने की मांग कर चुके है, लेकिन घटना के तीन दिन के बाद भी पुलिस की कार्रवाई में चालक अज्ञात ही है।


शहर के गोमाबाई रोड पर 9 फरवरी को दोपहर करीब ढाई बजे रौंगटे खडे कर देने वाला हादसा हुआ। यह भीषण सडक दुर्घटना गोमाबाई अस्पताल पर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। काले कलर की वर्ना कार करीब 100 की स्पीड में थी। जो स्कूटी पर सवार युवतियों को रौंदते हुए अस्पताल के बाहर पार्किंग में खडी गाडियों में जा घुसी। दोनों युवतियां हवा में लहराते हुए करीब 100 फीट दूर जा गिरी वहीं स्कूटी का सामने का हिस्सा चकनाचूर हो गया। वर्ना कार भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। दुर्घटना के तुरंत बाद कार चालक फरार हो गया। वर्ना कार क्रमांक एमपी 44 सीबी 1376 की पडताल की गई तो यह शैलेंद्र विक्टर निवासी विकास नगर के नाम से परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड है। इस दिल दहला देने वाले हादसे का वीडियो जिसने भी देखा, उसके रौंगटे खडे हो गए। घटना के तीन दिन बाद भी पुलिस आरोपी वाहन चालक को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। सूत्र बताते है कि चालक रसूखदार परिवार से जुडा हुआ है और उसे बचाने के प्रयास जारी है। चालक नशे में कार को दौडा रहा था, सामने से गुजर रही युवतियों को रौंद दिया। प्रापर्टी व्यवसायी अविनाश विक्टर का भतीजा अर्पित विक्टर उक्त कार को चला रहा था जो कि उसके पिता शलैंद्र विक्टर के नाम से कार दर्ज है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने अर्पित को मौके से भागते हुए भी देखा था। विक्टर परिवार के सदस्य लंबे समय से प्रापर्टी के व्यवसाय से जुडे होकर शहर में रसूख रखते है। पूरे शहर में इस बात की चर्चा है कि आरोपी अर्पित विक्टर को बचाने के प्रयास चल रहे है। अर्पित विक्टर की जगह किसी मजदूर गरीब को आरोपी बनाने का खेल चल रहा है। यह मामला आईजी संतोषकुमार सिंह तक पहुंच गया है, अब देखना है कि आखिर मूल आरोपी अर्पित विक्टर को पुलिस कैसे बचाती है।

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