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भोपाल। गांधी जयंती पर आउटसोर्स, अस्थाई कर्मियों ने की हक की बात, अन्यायकारी आउटसोर्स प्रथा समाप्त कराने तक जारी रहेगा संघर्ष : वासुदेव

मूलचन्द मेधोनिया पत्रकार भोपाल मोबाइल 8878054839

छिंदवाड़ा। सरकार एवं अधिकारियों की प्रताड़ना के शिकार सभी विभागों के आउटसोर्स, अस्थाई, ठेका कर्मचारियों ने अपनी व्यापक एकता बनाकर गांधी जयंती के दिन इंदिरा तिराहे पर घरना दिया, रैली निकालकर बापू की प्रतिमा पर पहुंचे और मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को पांच सूत्रीय मांगपत्र दिया।

ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थाई ठेका कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय संयोजक वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में दिए गए धरने को जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेनाजी ने संबोधित करते हुए हर तरह के सहयोग का भरोसा देते हुए माननीय कमलनाथजी एवं सांसद नकुलनाथजी तक आपकी बात पहुंचाने की बात कही।

धरने में सभी विभागों के सैकडों की संख्या में कर्मचारी उपस्थिति रहे, उनके कर्मचारी नेता किरण कुमार बंशगोतिया, शरद पंत, विजय सोनी, डा. विष्णु साहू, मनीष शर्मा, नितिन शेरखे, सुरेश उईके, बबलू, जय कुमार डेहरिया, सुरेश पवार ने भी अपने अपने विचार रखे। गांधी जयंती पर अपने हक की बात करते हुए आउटसोर्स नेताओं ने अपनी अपनी पीडा सुनाते हुए बताया कि इस नौकरी में न वेतन है, न स्थायित्व।

अधिकारियों एवं कंपनी की ओर से आए दिन किए जाने वाले अपमान ने जीने की इच्छा समाप्त कर दी है, शासन प्रशासन हमारी बात नहीं सुनता, तब पीडा कई गुना बढ जाती है। मीटर रीडरों के वेतन कम करना, नौकरी से निकालकर उन्हें ब्लैक लिस्टेड करना अधिकारियों का अंग्रेजी हुकूमत से भी अधिक बर्बर हो जाने जैसी कार्य प्रणाली को दर्शाता है।

धरने में बोलते हुए बासुदेव शर्मा ने कहा कि सात महीने पहले 13 फरवरी को एक दिन के उपवास कार्यक्रम के साथ आउटसोर्स, अस्थाई कर्मियों को एक मंच पर लाकर संगठित करने की शुरूआत हुई थी, जो अब पूरे प्रदेश में फैल चुकी है, 13 सितंबर के विधानसभा घेराव में दसियों हजार आउटसोर्स, अस्थाई कर्मचारी भोपाल पहुंचे थे, जिनकी एकता को देखकर सरकार चिंतित हुई और प्रशासन ने हजारों की गिरफ्तारियां कीं।

शर्मा ने कहा हमें आउटसोर्स प्रथा समाप्त कराने के संघर्ष को अपनी एकता से मजबूत बनाना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के आउटसोर्स कर्मचारी वे किसी भी विभाग के हों, सभी की एक जैसी ही स्थिति है, वे सभी भाजपा सरकार की विनासकारी नीति के शिकार हैं।

आउटसोर्स प्रथा शुरू करने वाले शिवराज ने 5 लाख से अधिक शिक्षित युवक युवतियों की जिंदगी बर्बाद कर दी है, हम लोग इनकी जिंदगी बचाने का संघर्ष छोटे छोटे आंदोलनों के जरिए कर रहे हैं, अब आप लोगों की जिम्मेदारी है आप इस आंदोलन को जनांदोलन में तब्दील करके शिवराज सरकार को आउटसोर्स प्रथा समाप्त करने के लिए मजबूर कर दें।

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