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दल-बदल का दौर चालू – बीजेपी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुक्रवार को लगा बड़ा झटका

भोपाल: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का वक्त नजदीक आते ही दल-बदल का दौर शुरू हो गया है। इसी क्रम में बीजेपी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को शुक्रवार को बड़ा झटका लगा। नीमच जिले के जावद से बीजेपी नेता समंदर पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ली। 1200 गाड़ियों के काफिले और अपने समर्थकों के साथ भोपाल पहुंचे समंदर पटेल का कमलनाथ ने पार्टी का अंगवस्त्र पहनाकर कांग्रेस में स्वागत किया। समंदर पटेल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद कमल नाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिर गई थी। अब समंदर पटले ने सत्तारूढ़ दल में ‘घुटन’ का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कांग्रेस में वापसी कर ली।

पटेल ने 1200 गाड़ियों के काफिले से बीजेपी को दिखाया दम

समंदर पटेल 1200 गाड़ियों के काफिले के साथ बीजेपी कार्यालय पहुंचे और इस्तीफा सौंपा दिया। इसके बाद वे अपने काफिले के साथ कांग्रेस दफ्तर पहुंच गए।समंदर पटेल को ज्योतिरादित्य सिंधिया का ‘लेफ्टिनेंट’ कहा जाता था। हाल के महीनों में समंदर पटेल तीसरे सिंधिया वफादार हैं, जो कांग्रेस में वापस चले गए हैं। 14 जून को शिवपुरी के बीजेपी नेता बैजनाथ सिंह यादव ने सिंधिया से नाता तोड़ लिया और 700 कारों की रैली आयोजित करते हुए कांग्रेस में चले गए। बीजेपी के पूर्व शिवपुरी जिला उपाध्यक्ष राकेश कुमार गुप्ता ने भी 26 जून को कांग्रेस में वापसी कर ली थी।

2018 में भी समंदर पटेल ने छोड़ी थी कांग्रेस

समंदर पटेल ने 2018 में भी कांग्रेस छोड़ दी थी। उस वक्त विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस बात से नाराज होकर पटेल ने पार्टी छोड़ी और निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में पटेल को 35 हजार वोट मिले। इसके चलते कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सका। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पटले फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों के समूह के साथ कांग्रेस को इन्होंने भी छोड़ दिया।

सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल होते ही समंदर पटेल की परेशानी शुरू हो गई। वो राज्य के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के साथ सार्वजनिक रूप से झगड़े में फंस गए। इस पर पटेल ने कहा कि ‘मेरे समर्थकों को सकलेचा के खेमे की ओर से लगातार अपमानित किया गया। छोटे-मोटे झगड़ों को लेकर उनके खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज किए गए। तभी मैंने जाने का फैसला किया।’ विधायक ने दावा किया कि उन्हें सिंधिया से कोई दिक्कत नहीं है।

सिंधिया को हाल ही में मध्य प्रदेश बीजेपी इकाई में अंदरूनी कलह से जूझना पड़ा है, उनके समर्थकों के समूह और पार्टी के पुराने समय के लोगों के बीच तनाव बढ़ गया है। सिंधिया समर्थक एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि समंदर पटेल के इस कदम से बीजेपी को नुकसान हो सकता है।

केंद्रीय मंत्री के खेमे के एक अन्य नेता ने कहा, ‘कई और समर्थक जल्द ही कांग्रेस में लौटेंगे।’ बीजेपी छोड़ने के बाद समंदर पटेल ने कैबिनेट मंत्री सकलेशा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि इन नेताओं से बात करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि बीजेपी सिंधिया के वफादारों के साथ अपने मतभेद नहीं सुलझा रही है। हम इसके बारे में क्या कर सकते हैं?

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