धार मध्यप्रदेश

डाकघर में नजर आएंगे मांडू के चतुर्भुज राम

चतुर्भुज श्री राम मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर दो नरसिंह दास जी महाराज और पोस्ट मास्टर जनरल प्रीति अग्रवाल ने क्या लिफाफे का विमोचन

कबीर मिशन समाचार, पवन सावले मांडू न्यूज/मांडू के चतुर्भुज श्री राम मंदिर में विराजी चारभुजा धारी भगवान श्री राम लक्ष्मण और सीता माता की प्रतिमा अब भारतीय डाक विभाग के विशेष “लिफाफे पर नजर आएगी रविवार को मांडू के चतुर्भुज राम मंदिर में पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉक्टर नरसिंह दास जी महाराज और डाक विभाग के पोस्ट मास्टर जनरल प्रीति अग्रवाल ने इसका विमोचन किया।

रविवार को मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में वैदिक मंत्र उपचार के साथ विद्वान पंडितों ने पूजा अर्चना कराई पोस्ट मास्टर जनरल प्रीति अग्रवाल ने बताया कि मांडू के चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा देश के सभी डाकघर के लिफाफे में नजर आएगी मांडू के डाकघर में भी यह लिफाफा मिलेगा रविवार को मांडू चतुर्भुज श्री राम मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉक्टर नरसिंह दास जी महाराज के साथ इसका विमोचन किया गया विमोचन कार्यक्रम में डाक अधीक्षक अधिकारी चतुर्भुज श्री राम मंदिर संस्थान के ट्रस्टी और मांडू नगर जनप्रतिनिधि

और पत्रकार और नगर वासी उपस्थित रहे1250 वर्ष पुरानी है मांडू चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा चतुर्भुज श्री राम मंदिर मांडू के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉक्टर नरसिंह दास जी महाराज ने बताया कि मध्य प्रदेश के मांडू में 1250 वर्ष पुरानी भगवान श्री राम की प्रतिमा विराजमान है जिसमें प्रभु श्री राम चतुर्भुज रूप में है जिसमें एक हाथ में धनुष दूसरे हाथ में बाण तीसरे हाथ में कमल और चौथे हाथ में माला सुशोभित है साथ में माता जानकी लक्ष्मण जी हनुमान जी के साथ ही अंगद नल नील की मूर्तियां भी है पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर डॉक्टर नरसिंह दास जी ने बताया कि श्री राम जी यहां पर चतुर्भुज स्वरूप में विग्रह विराजमान है यह विश्व का एकमात्र ऐसा विग्रह है।

यह प्रतिमा विक्रम संवत 1823 में तत्कालीन महंत श्री महंत रघुनाथ दास जी महाराज के सपने में प्रकट हुई थी इसके बाद संत रघुनाथ दास भ्रमण करते हुए मांडू पहुंचे और पवार राजवंश की तत्कालीन महारानी को अपने स्वप्न से अवगत कराया इसके बाद खुदाई हुई और कल घर में से मूर्तियां निकाली गई महारानी सक्कू बाई प्रतिमा बको हाथी पर रखकर धार ले जाने वाली थी लेकिन हाथी कहानी प्रयासों के बाद भी आगे नहीं बढ़ सका इसके बाद उन्होंने मांडू में ही भव्य मंदिर बनाकर चतुर्भुज श्री राम के प्रतिमा को स्थापित किया।

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