बेटी नहीं, भाग्य से मिली नेमत: डॉक्टर राव ने दिखाई इंसानियत की मिसाल।
कुशीनगर रामकोला बेटियां भाग्य से मिलती हैं यह कहावत अमडरिया गांव के डॉक्टर वीरेंद्र गोविंद राव ने अपने कर्मों से सच कर दिखाई।
करीब 14 साल पहले गांव के एक गरीब रिक्शा चालक सुखल खरवार की आठ साल की बेटी मनीषा को उन्होंने गोद लिया, यह कहकर कि उनके तीन बेटे हैं लेकिन एक बेटी की कमी महसूस होती है।आर्थिक तंगी से जूझ रहे सुखल की बेटी मनीषा को डॉक्टर साहब ने न सिर्फ घर दिया, बल्कि प्यार, पढ़ाई
और भविष्य भी संवार दिया। आज मनीषा 22 साल की हो चुकी है और डॉक्टर राव ने उसका विवाह भी पूरे रीति-रिवाज और धूमधाम से करवा दिया। कन्यादान से लेकर गृहस्थी का पूरा सामान देकर उन्होंने मनीषा को पूरे सम्मान के साथ विदा किया।गांव में डॉक्टर राव की इस भावुक पहल की हर तरफ सराहना हो रही है।
लोग कह रहे हैं— “अगर हर गांव में ऐसे लोग हों, तो गरीब की बेटियां भी सम्मानजनक जीवन जी सकें।”डॉक्टर राव का यह कदम बताता है कि इंसानियत का रिश्ता खून से नहीं, दिल और ज़िम्मेदारी से बनता है। कन्यादान करके निभाई अपनी जिम्मेदारियां।