के आरोप निश्चित रूप से चिंताजनक हैं। यह स्थिति न केवल ग्राम पंचायत
की जिम्मेदारी और पारदर्शिता पर सवाल उठाती है, बल्कि शासन द्वारा आवंटित धन के दुरुपयोग की ओर भी इशारा करती है। ग्रामीणों का कहना है कि लाखों रुपये की लागत से बन रहे नाले में घटिया सामग्री का उपयोग हो रहा है और सरपंच व सचिव की मिली
भगत से स्टीमेट को नजरअंदाज किया जा रहा है। यह आरोप गंभीर हैं, क्योंकि ग्राम पंचायत में निर्माण कार्यों की निगरानी के लिए गठित समिति का उद्देश्य ही गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना होता है। यदि समिति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही,
तो यह व्यवस्था की विफलता को दर्शाता है।इस मामले की निष्पक्ष जांच अत्यंत आवश्यक है। जांच के माध्यम से यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या वास्तव में निर्माण कार्य में अनियमितताएं हुई हैं और यदि हां, तो इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ
सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ग्राम पंचायत को पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय करने चाहिए, जैसे कि कार्यों की नियमित निगरानी, ग्रामीणों को सूचना उपलब्ध कराना और खर्च का सार्वजनिक लेखा-जोखा प्रस्तुत करना।
यह कदम न केवल जनता का विश्वास बहाल करेंगे, बल्कि शासकीय संसाधनों के सही उपयोग को भी सुनिश्चित करेंगे। दतिया जिला प्रशासन को इस मामले में त्वरित संज्ञान लेना चाहिए ताकि ग्रामीणों की शिकायतों का समाधान हो सके।