इंदौर मध्यप्रदेश

इंदौर – कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा ने इंदौर के नए कलेक्टर के रूप में पदभार संभाला

कबीर मिशन समाचार। इंदौर, मध्यप्रदेश

इंदौर। राज्य सरकार ने सोमवार रात को 13 जिलों के कलेक्टर समेत 27 आईएएस अफसरों के तबादले किए हैँ। देर रात देवास, जबलपुर, इंदौर, उमरिया, सीधी, धार, सीहोर, नरसिंहपुर, बुरहानपुर, सिंगरोली, मुरैना, आगर-मालवा, कटनी के कलेक्टरों के तबादले किए गए। इंदौर के नए कलेक्टर ने पदभार ग्रहण कर कहा वाटर प्लस और एयर क्वालिटी इंडेक्स में सुधार पर जोर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए तो यह अभियान जारी रहेगा। मतदाता पुनरीक्षण का काम तेजी से होगा। ऐसे मतदाता जो पिछली बार छूट गए थे उनके नाम सूची में होंगे। वोटिंग के लिए पात्र युवा अपने मतों का उपयोग कर सके इसके लिए मातहतों को निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर बने डॉ.इलैयाराजा की छवी एक ईमानदार और जुझारू प्रशासनिक अधिकारी की है। वे न झुकते हैं और न टूटते हैं। न किसी के दबाव-प्रभाव में आते हैं। जनता से उनका सीधा संवाद और जनहित से जुड़े मसलों को हल करना हमेशा उनकी प्राथमिकता रही है। वे जबलपुर से यहां तबादला कर भेजे गए हैं।

2009 बैच के IAS अफसर डॉ. इलैयाराजा टी जहां भी रहे, उनका पब्लिक कनेक्ट गजब का रहा है। भिंड हो या रीवा, उन्हें हटाए जाने की पब्लिक में भी काफी चर्चा हुई। डॉ. इलैयाराजा टी तमिलनाडु के रहने वाले हैं। 5 अप्रैल 1984 को उनका जन्म ईरोड जिले में हुआ। चेन्नई से 400 किलोमीटर दूर स्थित ईरोड जिला हल्दी के लिए प्रसिद्ध है। पिता किसान हैं। वे पुश्तैनी जमीन पर खेती करते आ रहे हैं। मां होम मेकर हैं और पति के साथ खेती-किसानी में हाथ भी बंटाती हैं। 2009 बैच के IAS ने पहली ही कोशिश में UPSC क्लीयर कर लिया था। जब कैडर की पॉजिशनिंग हुई तो MP राज्य दे दिया गया। उन्होंने पहले कभी हिंदी बोली ही नहीं थी। उन्होंने मसूरी के ट्रेनिंग सेंटर में ही हिंदी सीखी। आज वे इतनी फर्राटेदार हिंदी बोलते हैं कि शायद ही कोई भांप सके कि वे तमिल बैकग्राउंड के हैं। विंध्य, महाकौशल के बाद मालवा में उनकी यह पहली पोस्टिंग है।

पहली बार कलेक्टर के तौर पर वे भिंड भेजे गए। चंबल का यह जिला पूरे देश में बिहार के बाद नकल के लिए सबसे बदनाम रहा है। यहां गिरोह बनाकर नकल कराई जाती है। जो देश के किसी भी परीक्षा बोर्ड में दसवीं, बारहवीं, बीएड, डीएड, नर्सिंग नहीं कर पाता था, उसे यहां पास करा दिया जाता था। डॉ. इलैयाराजा ने परीक्षा केंद्रों में पहली बार CCTV कैमरे लगवा दिए। नतीजा दसवीं में 2015-16 में 15.5% और बारहवीं में सिर्फ 13.0% बच्चे पास हुए। यह हश्र देख नकल माफिया को भिंड छोड़ना पड़ा। इतनी सख्ती कर दी कि अगले साल भिंड में परीक्षा फॉर्म भरने वाले छात्र आधे ही रह गए। वे सब मुरैना शिफ्ट हो गए थे।

कलेक्टर इलैयाराजा जब भिंड से ट्रांसफर किए गए तो पब्लिक सरकार के फैसले के विरोध में उतर आई। प्रदर्शन भी किया गया। यहां तक कि उनके जाने के दु:ख में पब्लिक रोई तक थी। इसी तरह रीवा में दिलचस्प वाकया हुआ था। जब वहां से उन्हें ट्रांसफऱ किया गया तो एक व्यक्ति ने तबादले के खिलाफ CM हेल्पलाइन पर शिकायत कर दी।

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