देश में सबसे ज्यादा शिक्षित बेरोजगारी चरम सीमा पर है संघर्षों से पढ़कर लिखकर अपनी जीविकाएं परिवार का लालन पालन करने के लिए अधिकांश शिक्षित लोग मजदूरी कर रहे हैं जो किसी भी
रूप में मजदूरी करके जीवन यापन करते हैं असंगठित मजदूर कहलाते हैं कहीं जगह पर तो उद्योग क्षेत्र में कारखाने में काम करते हैं और बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां में भी काम करते हैं जो शिक्षित कुशल मजदूर होते हैं कुशल मजदूर बड़े-बड़े भवनों का निर्माण मल्टियों का निर्माण
के लिए इमारत का निर्माण मजदूर जान की हथेली पर रखकर करते हैं और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं मजदूर अपने बच्चों को मजदूरी न कर सके ऐसा संघर्ष कर कर कुछ बच्चों को पढ़ लेते हैं और पढ़ने के बाद भी अगर उन्हें मजदूरी ही करना पड़े तो उनके साथ बहुत बड़ा दुख का पहाड़ टूट जाता है
ऐसे ही अनेक कुछ उदाहरण आपको मिलेंगे मजदूर अपने जमीन घर मकान तक बैठकर बच्चों को पढ़ने के लिए उनका भविष्य सुधारने के लिए निरंतर संघर्षशील जीवन जीते हुए उन्हें शिक्षक प्राप्त करवाता है और शिक्षा प्राप्त करने में उसके घर मकान जमीन तक बिक जाती है
अनेकों बार उसे एक टाइम का भोजन भी नसीब नहीं हो पता है ऐसे देश भारत में हमारे मजदूर के लिए बड़े-बड़े भाषणों में सरकारी योजना का प्रचार प्रसार होता है टीवी चैनलों में समाचार पेपर में मजदूरों की हितेषी योजना लाभकारी योजना के नाम से चलाई जाती है लेकिन आज भी जमीन स्तर पर मजदूरों को
योजना का लाभ लेने में चप्पलों टूट जाती है केवल दिखावे में और नेताओं के भाषणों में ही सरकारी योजना का लाभ मजदूरों को जमीन स्तर पर मिल जाया आसान नहीं है सरकारी योजनाएं लाभ देने के लिए नेता और अधिकारियों को जाना चाहिए लेकिन आप कभी गली मोहल्ले में जाकर देखिए सरकारी योजना का लाभ किस कदर किन-किन को मिलता है यह देखने का विषय है
काश आज हमारे देश में ऐसे नेता आए होते ऐसे अधिकारी होते हैं जो जमीन स्तर पर जाकर उन गरीब मजदूर किसान दलित आदिवासियों को सरकारी योजना का लाभ दे पाए लेकिन दिखावे के लिए ही सारी योजना होती है प्रचार प्रसार और फोटो बाजी करने में ही हमारे नेता अधिकारी लगे होते हैं जमीन स्तर पर
आज भी जरूरतमंद वंचित रह जाते हैं सरकार की योजनाओं के कहा जाता है की जन्म से लेकर मृत्यु तक सरकारी योजनाएं लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों लेता है उससे पूछिए उसे कितना संघर्ष करना पड़ता हैआपको समाचार पेपर में टीवी चैनल में देखने को मिल रहा होगा आजकल वह नेता नहीं है जो
जनता से जुड़े लेकिन आजकल पूंजीपति नेता है जो केवल पूंजीपतियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हैं अपने कैसे लाभ दिल दिया जाए यह उसे पर ध्यान दिया जाता है उनको कैसे ठेकेदार बिल्डर पूंजीपति और कैसे बनाया जाए ऐसा ही मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले पचोर में 20 साल से मजदूर अपने श्रमिक सेठ
रेन बसेरा एवं शासन की योजना का लाभ लेने के लिए 20 साल से आवेदन निवेदन संघर्ष करते आ रहे हैं सत्येंद्र जाटवयहां तक की नगर पंचायत का घेराव भी मजदूरों के द्वारा किया गया है लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला मध्यप्रदेश में 20 साल से बीजेपी की सरकार है यहां राजगढ़ जिले के पांच विधायक बीजेपी के यहां के दो मंत्री भाजपा के बीजेपी सांसद
10 साल से अधिक बीजेपी के केवल आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं पचोर नगर में तो सांसद निवास करते हैं श्री रोडमल नागर सारंगपुर क्षेत्र विधानसभा 164 यहां के पूर्व विधायक कुंवर सिंह कोटर जिनके पिताजी 40 साल तक विधायक रहे और वह खुद 10
साल तक विधायक रहे आज इस सीट पर गौतम जी टेडवाल जो राज्य मंत्री है वह विधायक है लेकिन वह भी आश्वासन के सिवा कुछ नहीं दे सके नगर पचोर को पचोर नगर चार विधानसभा में लगी हुई है यहां पर चारों विधानसभा के मजदूर मजदूरी करने आते हैं और पचोर नगर
के मतदाता चारों विधानसभा में अपना मतदान कर कर विधायक को चुनते हैं लेकिन दुर्भाग्य के नेता केवल अपना भाषणों में ही सीमित रहकर योजना का लाभ देते हैं जमीन स्तर पर मजदूर किसान दलित आदिवासियों छात्रों को योजना का लाभ नहीं दे सके में
सत्येंद्र जाटव कबीर मिशन पत्रकार