इंदौर में मछली खाने के बाद मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव की तबीयत बिगड़ गई। उल्टियां और लूज मोशन होने लगे। ब्लड प्रेशर गिर गया। पूरे शरीर पर सूजन आ गई। 3 अलग-अलग अस्पतालों में दिखाने के बाद पता चला कि लिवर और किडनी डैमेज हो गए हैं।
डॉक्टरों ने हाई डोज एंटीबायोटिक दिए। डायलिसिस की जरूरत पड़ने की बात कही। परेशान होकर परिजन उसे मेदांता अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां चेकअप के बाद पता लगा कि मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव ने मछली के पित्त की थैली (गाल ब्लेडर) खा ली थी।
जिससे शरीर में टॉक्सिन फैल गया।डॉक्टरों ने इसे दवाओं के जरिए बाहर निकाला। करीब डेढ़ महीने तक स्पेशल ट्रीटमेंट दिया। अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।मामला इंदौर के संगम नगर का है। जहां रहने वाले दुर्गाप्रसाद सुनानिया (42) प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हैं।
22 दिसंबर 2024 को दोपहर के भोजन में परिवार ने मछली बनाई थी। इसे खाने के कुछ देर बाद ही दुर्गाप्रसाद की तबीयत बिगड़ गई।खाने के बाद पानी के साथ निगली थी पित्त की थैलीमेदांता अस्पताल में मेडिकल चेकअप के दौरान पता चला कि मरीज के लिवर एंजाइम्स SGOT और SGPT खतरनाक रूप से 3000-4000 के स्तर तक पहुंच गए हैं।
ये 15-20 तक होने चाहिए। क्रिएटिनिन की मात्रा भी 8-9 के स्तर पर है। इसे 1-2 तक होना चाहिए था। यूरिन भी काफी कम आ रहा था। नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. जय सिंह अरोरा ने इसका कारण जानने के लिए टेस्ट कराए।
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