सीहोर: धींगाखेड़ी प्राथमिक स्कूल में कलेक्टर के आदेश की अवहेलना, 17 अप्रैल 2025 को सुबह 8:28बजे तक नहीं खुला स्कूल
कबीर मिशन समाचार जावर। जावर से संजय सोलंकी की रिपोर्ट।
सीहोर, मध्य प्रदेश: सीहोर जिला कलेक्टर बालागुरु के. ने ग्रीष्मकालीन तापमान को देखते हुए जिले के सभी
सरकारी और निजी स्कूलों (कक्षा 1 से 12) का समय परिवर्तित कर सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक निर्धारित किया था। यह आदेश 30 अप्रैल 2025 तक लागू है, ताकि बच्चों को गर्मी से बचाया जा सके और उनकी पढ़ाई सुचारू रहे।
बावजूद इसके, ग्राम धींगाखेड़ी के प्राथमिक स्कूल में 17 अप्रैल 2025 को सुबह 8:28 बजे तक स्कूल नहीं खुला, जब कबीर मिशन पत्रकारों की टीम ढींगाखॆडी प्राथमिक स्कूल पहुंची तो स्कूल में ताला लगा हुआ था जिसके पत्रकारों द्वारा फोटो और वीडियो भी लिए गए ,एक अभिभावक ने कहा, “कलेक्टर का आदेश स्पष्ट है,
फिर भी शिक्षक 7:30 बजे नहीं पहुंचते। 17 अप्रैल को भी स्कूल 8:28 बजे तक बंद था। बच्चों की सेहत और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही है।” ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग पर निगरानी में ढिलाई का आरोप लगाया।धींगाखेड़ी, सीहोर जिले की आष्टा जनपद पंचायत के अंतर्गत एक ग्राम पंचायत है।
यहां का प्राथमिक स्कूल कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है। कलेक्टर का समय परिवर्तन आदेश गर्मी के कारण बच्चों को दोपहर की तपिश से बचाने के लिए था, लेकिन शिक्षकों की अनुपस्थिति इस उद्देश्य को विफल कर रही है।जब पत्रकार द्वारा जनशिक्षक
अधिकारी मेहतवाड़ा जनशिक्षक केंद्र जाकर जब इस मामले को बताया तो वह कुछ भी कहने से बचते नजर आए वही उन्होंने अपने कुछ ही शब्द में बताया कि जिस भी स्कूल में ऐसी लापरवाही बरती जाएगी
उस स्कूल के शिक्षकों पर कार्यवाही की जाएगी वहीं पत्रकार ने स्कूल के सबूत के तौर पर स्कूल के देर से खुलने के सबूत, जैसे तस्वीरें, समय और तारीख बताए। शिक्षा विभाग की चुप्पी: जिला शिक्षा विभाग ने इस मामले पर अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है।
सीहोर जिले में शिक्षकों की अनुपस्थिति और स्कूलों में लापरवाही की शिकायतें पहले भी सामने आ चुकी हैं, लेकिन कार्यवाही नाम मात्र की हुई जिससे लापरवाह शिक्षक अपनी मनमानी से स्कूल चलाने लगे हे ।वही ग्रामीणों ने मांग की है कि शिक्षकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की
जाए और कलेक्टर के आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। यह घटना न केवल बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि शिक्षा विभाग की जवाबदेही पर भी सवाल उठा रही है। जिला प्रशासन को इस मामले की जांच कर दोषी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।