जिला ब्यूरो संजीव शर्मा
श्री
विदिशा आज नगर में तीन दिवसीय श्रुत पंचमी महा महोत्सव एवं वेदी प्रतिष्ठा जैन बड़ा जैन मंदिर किले अंदर में से सानन्दं समपन्न,विदिशा।श्री शीतलनाथ दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर में चल रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम श्रुत पंचमी महोत्सव व वेदी प्रतिष्ठा 29 मई से 31 मई तक का भव्य समापन हुआ।
जिसमें श्रुत पंचमी महोत्सव प्रतिवर्षानुसार संपन्न हुआ एवं वेदी का भव्य जीर्णोद्धार कर पुनः भगवान की विधि पूर्वक वेदी प्रतिष्ठा कराई गई ।31 मई को सर्व प्रथम सभी भगवान का अभिषेक पूजन,श्री यंत्र जी की पूजन अभिषेक कर यथास्थान विराजमान कर श्रुत पंचमी की विशेष पूजन कराई गई तत्पश्चात वेदी विराजमान का कार्यक्रम कराया गया।
मूल भगवान की प्रतिमा समेत कुल 13 भगवानो को विराजमान कराया गया।विशिष्ट विद्वान शुलभ शास्त्री एवं अमित भैया द्वारा विधि विधान एवं मंत्रोचारण के साथ सभी भगवानो को नवीन वेदी पर यथा स्थान विराजमान कराया गया।वेदी विराजमान के कार्यक्रम का संचालन चिरंतन शास्त्री द्वारा किया गया।
जिसमें नवीन वेदी पर भगवान विराजमान करने का सौभाग्य पंडित शिखर चंद,संजय, राजीव, आलोक , अनुराग जैन एकांत जैन ,ऋषि , सूर्याकीर्ति अलंकार वाले, चिन्मय बड़कुल एवं समस्त बड़कुल परिवार ,सतेंद्र लश्करी,अंशुल लश्करी परिवार,डॉ मक्खन
लाल जैन,शोभित जैन,डॉ मोहित जैन ,निर्मल,कुमार,अविनाश कुमार घड़ी वाले,शौर्य जैन खेरुआ,राजेश,शास्त्र ,शरद मानपुर ,चेतन नीलेश,अमित,राजीव पीयूष जनरल स्टोर , प्रेरक जैन शास्त्रीपरिवार ,प्रियांशु मोदी परिवार को प्राप्त हुआ ।वहीं भगवान को नवीन छत्र स्व सुभाष चंद जैन की स्मृति में उन के परिवार अनुराग
,एकांत जैन की तरफ़ से चढ़ाया गया।विराजमान उपरांत विधान की पूर्ण क्रियाएँ ,पुष्प क्षेपण, यज्ञ आहुति आदि सम्पन्न कराई गई। आज शुभम शास्त्री द्वारा श्रुत पंचमी के महत्व को बताते हुए विशेष बाते बताई।उन्होंने बताया कि श्रुत अर्थात् सुना हुआ होता है।जब पहलीबार ग्रन्थ लिखे गए तो आचार्य कहते है कि श्रुत का अवतार हुआ है,श्रुत देव से भी महान है।
क्योंकि श्रुत ही हमे जीवन का स्वरूप बताती है और श्रुत ही हमे देव का स्वरूप बताता है।आत्मा की पहचान जिनवाणी से होती है।हमे प्राप्त साहित्य हमे बहुत कुछ ज्ञान देते है मगर इस ज्ञान को लेने के लिये हमें इनका स्वाध्याय करना पड़ेगा।
चौबीसौ घण्टे जीवन भर, सके तो भी पूर्ण जिनश्रुत नही हो पाएगो।श्रुत ज्ञान अनंतानंत है जिससे नियमित स्वाध्याय से ही प्राप्त किया जा सकता है।जैन शासन अभ्यंतर एवं बाह्य श्रुत से सहित है।जिसने आत्मा को पढा है उसने समस्त जैनशासन पढ़ा है।
शुभम शास्त्री द्वारा विद्वान उत्तम चन्द जी द्वारा दिलवाई जाने वाली प्रतिज्ञा याद दिलाई जो वो सबको करवाते थे।मुझे आत्मा का कल्याण करना।मुझे आत्म कल्याण के लिए सहायक जिन शास्त्र होने से उनका स्वाध्याय करना है।
मुझे शास्त्र का स्वाध्याय मात्र आत्म कल्याण हेतु ही करना है।इस काल मे शास्त्रो की सहायता अभ्यास से होता है।प्रवक्ता डॉ मक्खन लाल जैन ने बताया सायंकालीन 7 बजे से बच्चों की कक्षा सम्पन्न हुई उसके पश्चात नवीन वेदी के सन्मुख आध्यात्मिक भक्ति संध्या का आयोजन किया गया।
सभी कार्यक्रम का सानन्दं सम्पन्न होने पर ट्रस्ट अध्यक्ष मलूक चंद जैन,रवि पटेल,संजय,एड चक्रवर्ती जैन,राजकुमार जैन,प्रकाश सिंघई,नेमीचंद मानपुर,राकेश मोदी ,रीतेश जैन,शिखरचंद जैन एम पी ई बी आदि ने समस्त समाज का आभार व्यक्त किया।