देवास मध्यप्रदेश

नगर परिषद अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल और उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय ललिता अर्जुन राजपूत को चुना गया।

कबीर मिशन समाचार
जिला ब्यूरो चीफ पवन परमार जिला देवास

सोनकच्छ। सोमवार को नगर परिषद के चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न हुई, 7 साल बाद हुए नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव में पार्षदों के वोटों पर अध्यक्ष की कुर्सी का निर्णय होना था। 15 वार्डो से निर्वाचित पार्षदों ने अपने मत का उपयोग किया जिसमें अध्यक्ष पद पर एक वोट से श्रुति बघेल को निर्वाचित किया गया। वही उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय ललिता राजपूत ने कब्जा किया।

दो नामांकन अध्यक्ष के लिए – 15 वार्डो में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के पूर्व से ही श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। इसके विपरीत भाजपा ने सोमवार को अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा की, इसी आधार पर नामांकन प्रक्रिया के अंतर्गत दो नामो की घोषणा सहायक रिटर्निंग अधिकारी जितेंद्र वर्मा ने की, दोनो के आवेदन वैद्य बताते हुए चुनाव सम्पन्न कराया गया। मतगणना के आधार पर दोपहर 1 बजे परिणाम घोषित किया गया। जिसमे सहायक रिटर्निंग अधिकारी तहसीलदार वर्मा ने घोषणा करते हुए बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष प्रत्याशी श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल को 8 मत व भाजपा की प्रिया अखलेश अग्रवाल को 7 मत मिले जिस आधार पर एक मत से कांग्रेस प्रत्याशी बघेल विजय हुई।

उपाध्यक्ष राजपूत ने बनाये कई कीर्तिमान – गौरतलब है कि निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने वाली ललिता अर्जुन राजपूत वार्ड 13 से चुनाव लड़ी थी, जिन्होंने भाजपा, कांग्रेस सहित सभी निर्दलीय प्रत्याशियों की जमानत जप्त करवा दी थी, जो नगर के परिषद चुनाव में कीर्तिमान माना जा रहा है। इतना ही नही सबसे अधिक वोटों से जीतकर वो इतने वोट से जीत दर्ज वाली पहली महिला बनी है इसके साथ ही सबसे कम उम्र की पार्षद बनने के साथ ही नगर में सबसे कम उम्र की उपाध्यक्ष बनी है यह भी कीर्तिमान ही है। इसके साथ ही राजपूत ने उपाध्यक्ष पद की कुर्सी पर निर्विरोध कब्जा किया है भाजपा की प्रत्याशी प्रिया अखिलेश अग्रवाल ने समय सीमा के अंतर्गत उपाध्यक्ष पद के लिए भरे गए फॉर्म को वापस ले लिया था जिसके बाद ललिता राजपूत निर्विरोध चुनी गई।

समय पर निर्णय नही लेना भाजपा को पड़ा भारी, क्रॉस वोटिंग भी हुई – ईधर भाजपा सहित निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा को समर्थन दिया हुआ था, जो कि दो दिन पूर्व तक भाजपा के साथ था, ऐसे में रात को नाम आने के बाद कुछ निर्दलीय पार्षदों ने भाजपा का साथ ना देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति बघेल पर भरोसा जताया। सूत्रों की माने तो भाजपा-कांग्रेस के वोट के क्रॉस वोटिंग भी हुई है। ईधर अंत मे अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा देरी से करना भाजपा की सबसे बड़ी कामजोरी और हार का प्रमुख कारण साबित हुई है। ऐसा लग रहा था मानो भारतीय जनता पार्टी नगर परिषद में अध्यक्ष बनाने की योजना पर काम नही किया।

दोनो बड़े चुनाव में भाजपा को मिली शिकस्त, बघेल परिवार के वर्चस्व को मिली जीत – हाल ही में हुए जनपद पंचायत के निर्णय सबके सामने है, जिसमे 19 वोटो में कांग्रेस को 13 व बीजेपी को मात्र 6 वोट ही मिले है। इस चुनाव में भी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत ने जनपद पंचायत की 12 सीट पर भाजपा को कब्जा होना बताया था, जिसमे भाजपा राजीव खंडेलवाल ने जिलाध्यक्ष ने डोर को अपने हाथ मे लेते हुए जीत का दावा राजपूत से किया था, लेकिन समय पर भाजपा प्रत्याशी का चुनाव और भाजपा समर्थित जप सदस्यों को की संभाल नही पाए जिसके चलते अध्यक्ष कांग्रेस का और उपाध्यक्ष भाजपा का बना जो कि विचारणीय है। ऐसा ही मंजर नप चुनाव में सोमवार को देखने को मिला जिसमे यह स्पष्ठ है कि भाजपा ने जीत को लेकर योजना नही बनाई थी और ना ही बदलते समीकरण और उम्मीदवारों की दावेदारी पर ध्यान नही दिया गया, तीनो उम्मीदवारों ने पर्यवेक्षक को दावेदारी पेश की लेकिन यहां भी भाजपा को पराजय मिली, पूरे जिले में सभी सीटों पर भाजपा को बहुमत मिला लेकिन सोनकच्छ नगर परिषद भाजपा के लिए दाग बनकर रह गया। इधर बघेल परिवार ने राजनीतिक परिवार के होकर अच्छी चुनाव रणनीति के साथ हार को भी जीत में बदल कर बाजीगर बन गए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस में एकजुटता के साथ ही विधायक सज्जन सिंह वर्मा बघेल परिवार के राजनीतिक अनुभव का फायदा इस जीत के रूप में मिला है।

नगर परिषद अध्यक्ष पद पर कांग्रेस की श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल और उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय ललिता अर्जुन राजपूत को चुना गया। कबीर मिशन समाचार जिला ब्यूरो चिफ़ पवन परमार जिला देवास सोनकच्छ। सोमवार को नगर परिषद के चुनाव की प्रक्रिया सम्पन्न हुई, 7 साल बाद हुए नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव में पार्षदों के वोटों पर अध्यक्ष की कुर्सी का निर्णय होना था। 15 वार्डो से निर्वाचित पार्षदों ने अपने मत का उपयोग किया जिसमें अध्यक्ष पद पर एक वोट से श्रुति बघेल को निर्वाचित किया गया। वही उपाध्यक्ष पद पर निर्दलीय ललिता राजपूत ने कब्जा किया। दो नामांकन अध्यक्ष के लिए – 15 वार्डो में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव के पूर्व से ही श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी थी। इसके विपरीत भाजपा ने सोमवार को अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा की, इसी आधार पर नामांकन प्रक्रिया के अंतर्गत दो नामो की घोषणा सहायक रिटर्निंग अधिकारी जितेंद्र वर्मा ने की, दोनो के आवेदन वैद्य बताते हुए चुनाव सम्पन्न कराया गया। मतगणना के आधार पर दोपहर 1 बजे परिणाम घोषित किया गया। जिसमे सहायक रिटर्निंग अधिकारी तहसीलदार वर्मा ने घोषणा करते हुए बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष प्रत्याशी श्रुति कृष्णपाल सिंह बघेल को 8 मत व भाजपा की प्रिया अखलेश अग्रवाल को 7 मत मिले जिस आधार पर एक मत से कांग्रेस प्रत्याशी बघेल विजय हुई। उपाध्यक्ष राजपूत ने बनाये कई कीर्तिमान – गौरतलब है कि निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने वाली ललिता अर्जुन राजपूत वार्ड 13 से चुनाव लड़ी थी, जिन्होंने भाजपा, कांग्रेस सहित सभी निर्दलीय प्रत्याशियों की जमानत जप्त करवा दी थी, जो नगर के परिषद चुनाव में कीर्तिमान माना जा रहा है। इतना ही नही सबसे अधिक वोटों से जीतकर वो इतने वोट से जीत दर्ज वाली पहली महिला बनी है इसके साथ ही सबसे कम उम्र की पार्षद बनने के साथ ही नगर में सबसे कम उम्र की उपाध्यक्ष बनी है यह भी कीर्तिमान ही है। इसके साथ ही राजपूत ने उपाध्यक्ष पद की कुर्सी पर निर्विरोध कब्जा किया है भाजपा की प्रत्याशी प्रिया अखिलेश अग्रवाल ने समय सीमा के अंतर्गत उपाध्यक्ष पद के लिए भरे गए फॉर्म को वापस ले लिया था जिसके बाद ललिता राजपूत निर्विरोध चुनी गई। समय पर निर्णय नही लेना भाजपा को पड़ा भारी, क्रॉस वोटिंग भी हुई – ईधर भाजपा सहित निर्दलीय प्रत्याशियों ने भाजपा को समर्थन दिया हुआ था, जो कि दो दिन पूर्व तक भाजपा के साथ था, ऐसे में रात को नाम आने के बाद कुछ निर्दलीय पार्षदों ने भाजपा का साथ ना देते हुए कांग्रेस प्रत्याशी श्रुति बघेल पर भरोसा जताया। सूत्रों की माने तो भाजपा-कांग्रेस के वोट के क्रॉस वोटिंग भी हुई है। ईधर अंत मे अधिकृत प्रत्याशी की घोषणा देरी से करना भाजपा की सबसे बड़ी कामजोरी और हार का प्रमुख कारण साबित हुई है। ऐसा लग रहा था मानो भारतीय जनता पार्टी नगर परिषद में अध्यक्ष बनाने की योजना पर काम नही किया। दोनो बड़े चुनाव में भाजपा को मिली शिकस्त, बघेल परिवार के वर्चस्व को मिली जीत – हाल ही में हुए जनपद पंचायत के निर्णय सबके सामने है, जिसमे 19 वोटो में कांग्रेस को 13 व बीजेपी को मात्र 6 वोट ही मिले है।

इस चुनाव में भी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत ने जनपद पंचायत की 12 सीट पर भाजपा को कब्जा होना बताया था, जिसमे भाजपा राजीव खंडेलवाल ने जिलाध्यक्ष ने डोर को अपने हाथ मे लेते हुए जीत का दावा राजपूत से किया था, लेकिन समय पर भाजपा प्रत्याशी का चुनाव और भाजपा समर्थित जप सदस्यों को की संभाल नही पाए जिसके चलते अध्यक्ष कांग्रेस का और उपाध्यक्ष भाजपा का बना जो कि विचारणीय है। ऐसा ही मंजर नप चुनाव में सोमवार को देखने को मिला जिसमे यह स्पष्ठ है कि भाजपा ने जीत को लेकर योजना नही बनाई थी और ना ही बदलते समीकरण और उम्मीदवारों की दावेदारी पर ध्यान नही दिया गया, तीनो उम्मीदवारों ने पर्यवेक्षक को दावेदारी पेश की लेकिन यहां भी भाजपा को पराजय मिली, पूरे जिले में सभी सीटों पर भाजपा को बहुमत मिला लेकिन सोनकच्छ नगर परिषद भाजपा के लिए दाग बनकर रह गया। इधर बघेल परिवार ने राजनीतिक परिवार के होकर अच्छी चुनाव रणनीति के साथ हार को भी जीत में बदल कर बाजीगर बन गए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस में एकजुटता के साथ ही विधायक सज्जन सिंह वर्मा बघेल परिवार के राजनीतिक अनुभव का फायदा इस जीत के रूप में मिला है। 75 वर्ष बाद मिला था भाजपा को मौका, फिर भी भाजपा मुक्त नगर परिषद – आज़ादी के 75 वर्ष बाद भाजपा को यह पहला मौका था जिसमे कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नही मिला था, इसके पूर्व पूर्ण बहुमत से कांग्रेस ने परिषद बनाई है, गौरतलब है कि 6 निर्दलीय प्रत्याशी जो जीतकर आये थे वो सभी भाजपा के बागी उम्मीदवार है, भाजपा के पास परिषद बनाने का सबसे बढ़िया मौका था। 75 वर्षों से चले आ रहे हैं कांग्रेसी क्रम को तोड़ने का एक ऐसा सुनहरा अवसर था जिस को भुनाने की जगह पार्टी ने जातिगत स्तर की राजनीति को बढ़ावा दिया जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा अब आने वाले 5 सालों को लेकर कांग्रेस का नगर परिषद पर कब्जा होने के साथ-साथ आने वाले विधानसभा चुनाव में भी इस चुनाव का असर देखने को मिल सकता है।

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