नरसिंहपुर मध्यप्रदेश

गाडरवारा तहसीलदार पर आखिर हाथापाई क्यों?
समय सीमा पर तहसीलदार काम क्यों नहीं करते आवेदकों को भटकाना गलत


मूलचन्द मेधोनिया सहसंपादक कबीर मिशन समाचार पत्र भोपाल मोबाइल 8878054839


गाडरवारा ।जिला नरसिंहपुर
विगत दिनों तहसीलदार श्री मरावी के ऊपर एक किसान ने हाथ साफ कर दिया। किसान लम्बे समय से तहसील गाडरवारा में पदस्थ तहसीलदार मरावी के चक्कर लगा रहा था। तहसीलदार उसके प्रकरण में लेटलतीफी और भटकाने का काम कर उसके आवेदन पत्र पर कोई भी सुनवाई नहीं कर रहे थे। ऐसे ही अनेक मामलों में तहसीलदार गाडरवारा करते आ रहे है। न समय सीमा का ध्यान रखना और न ही फाईलों को गंभीरता से देखना। जबकि तहसील का तहसीलदार ही एक ऐसा अधिकारी होता है। जिस पर किसान, मजदूर के साथ समस्त भूमि संबंधी समस्याओं व शिकायतों को देखने की सरकारी जिम्मेदारी होती है। लेकिन ये अपने पद, गरिमा के साथ ही सरकारी नियमों का समय पर पालन करें तो निश्चित रूप से कोई भी परेशान नहीं होगा। पर अपने कर्तव्यों का पालन तो करें।

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बहरहाल गाडरवारा के एक किसान ने तहसीलदार पर हमला करने की खबर आ रही है। सूत्रों के हवाले से जानकारी प्राप्त है कि किसानों, मजदूरों और गरीब लोगों की शिकायतों पर तहसीलदार निपटारा करने और ऐसे ही मामलों को अनदेखा करते हैं। अनेक नागरिक उनकी कार्य प्रणाली से नाराज है। वह आवेदन पत्र हो या किसी भी भूमि सम्बन्धित मामलों पर कोई भी समय पर सुनवाई नहीं करते हैं। उनके पास अनेक शिकायतें लंबित है। जिन पर शासन की गाईड लाईन के मुताबिक 15 दिवस में निराकरण होना चाहिए। वह शिकायत एक – एक वर्ष से लंबित है। उनका काम करने का नजरिया किसानों को रास नहीं आ रहा है। वहीं छोटी मोटी शिकायतों को अनावश्यक अपने कार्यालय में दबाकर बैठें रहते है। शासन ने जो उनको जबावदारी दी है। समय सीमा और शासन नियम मापदंडों का पालन करें तो हमला जैसी स्थिति ही निर्मित न हो। एक किसान की शिकायत पर तहसीलदार व किसान के बीच बाद विवाद सामने आया है। जिसमें बताया जा रहा है कि तहसीलदार गाडरवारा किसान को एक वर्ष के लटकाने, भटकाने का काम कर रहे थे। जिस पर हाथापाई की नौबत आ गई! आखिर ये क्यों हुआ, क्या बजह है, गलती किसकी है। यह जांच का विषय है। जांच निष्पक्ष होना चाहिए। फिलहाल तहसीलदार के क्रत्यों से नाराज किसान ने मजबूरी में हाथापाई की है। जिस पर किसान के ऊपर मामला दर्ज कर लिया है। तथा उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

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सूत्रों के अनुसार जानकारी है कि किसान के ऊपर मामला सरकारी कार्य में दखल देने के अपराध के अलावा अनुसूचित जाति /जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह किस आधार पर किया गया है। यह तो साफ तौर पर जानकारी हो कि तहसीलदार मरावी लिखते है, तो आदिवासी (जनजाति) वर्ग में आते है। लेकिन जातिगत आधार पर जानबूझकर अत्याचार एवं जातीय अपमान यहां कैसे एक बड़े अधिकारी का हुआ है। जो कि स्वयं तहसीलदार है। क्या ये एटोृसिटी एक्ट के तहत मामला बनता है। क्या तहसीलदार ने अपने प्रभाव के चलते ये अपराध दर्ज कराया हुआ है। इस पर पुलिस सहित उच्चाधिकारियों द्रारा ध्यान देना चाहिए। ताकि एटोृसिटी एक्ट का पद, गरिमा एवं अधिकारी के रोब के कारण इस एक्ट के दुरुपयोग होने के अरोप से मुक्ति मिले। जिनके साथ भेदभाव, छुआछूत और जातिगत अपमान होता है उन लोगों का इस एक्ट का लाभ मिले।

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वैसे जांच होनी चाहिए और तहसीलदार गाडरवारा के पास जो भी आवेदन पत्र /शिकायत ढेरों लंबित है। उन्हें भी समय पर निराकरण करना चाहिए। ताकि ऐसी कोई घटना न हो। तथा तहसील के नागरिक सेवा प्राप्त कर सके। जिस काम पर एक तहसीलदार जनता की सेवा करना चाहिए वह कर्त्तव्य का निर्वाह करना चाहिए।

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