कबीर मिशन समाचार
जिला ब्यूरो चिफ़ पवन परमार
जिला देवास
सोनकच्छ – शनिवार को मुखबिर की सूचना पर पुलिस भागसरा रोड पर पहुँची, एक व्यक्ति चोरी की साईकल लेकर खड़ा था, जिसे तत्काल पुलिस टीम के द्वारा घेराबंदी कर पकड़ा गया। पकडे गये आरोपी से टीम के द्वारा पुछताछ करने पर अपना नाम सुरज उर्फ आरु पिता भेरूसिंह दोशी निवासी नागझिरी सोनकच्छ को बताया। उक्त वाहन के नम्बर को व्ही डी पोर्टल में चैक करने पर गाड़ी थाना सोनकच्छ से चोरी होना पाया। आरोपी से विस्तृत पूछताछ करने पर उसने बताया कि कुमारिया बनवीर के हेमन्त कंजर, क्रिश कंजर अपने अन्य साथीगणों के साथ मिलकर देवास इंदौर, सिहोर, भोपाल व अन्य जिलो से वाहनों की चोरी करते हैं साथ ही चौरी के वाहन रफा-दफा करवाना, वाहन को बेचने व वाहनों को वाहन मालिक को वापस लौटाने के लिए आरोपी सुरज से संपर्क करते थे। हेमन्त कंजर के द्वारा प्रत्येक वाहन पर 2 हजार रुपये लेता था। हेमन्त के द्वारा लगभग 09 दो पाहिया वाहन सुरज को दिये गये। आरोपी द्वारा कुल 06 दो पाहिया वाहन को कम दामों में बेचा गया। आरोपी सुरज से कुल 03 अन्य को बेचे गये 06 दो पहिया वाहन जप्त किये गये है। वाहनों की किमत लगभग 9 लाख रुपये का मसुका जप्त किया गया। वाहन चोर गिरोह सुनसान इलाकों में रेकी कर वाहन चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं।
इन वाहनों की हुई जप्ती –
•02 बुलेट, 04 स्प्लेंडर, 02 एच एफ डीलक्स व 01 एक्टिवा कीमती लगभग 09 लाख का मसुका का जप्त किया गया।
इन वाहनों में 6 वाहनों की मालिक की जानकारी मिल चुकी है जिसमे 2 सोनकच्छ 1 भोपाल, 1 इंदौर, 2 खातेगांव 1 देवास की बताई जा रही है। पुलिस ने गाड़ी मालिको को सूचित कर दिया है।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम-
- सुरज उर्फ आरु पिता भैरू दोसी उम्र 23 साल निवासी नागझिरी सांवेर सोनकच्छ । 2. शाहरूख पिता शाबीर खान उम्र 22 साल मि. भोसले कॉलोनी देवास ।
- सोनु शेख पिता इसरार शेख उम्र 20 साल निवासी भोसले कॉलोनी बीएनपी रोड देवास ।
- देवेन्द्र यादव पिता घनश्याम यादव उम्र 19 साल निवासी कालीसिंध मार्ग सोनकच्छ
आरोपितों में सूरज दोसी के विरुद्ध पूर्व में भी आपराधिक प्रकरण जिसमे मारपीट, गली-गलौच आदि प्रकरण सोनकच्छ थाने में दर्ज है।
वाहन चोरी के नही होते दर्ज – एक तरफ जहां ट्रक कटिंग का नाम सुनते ही सबसे पहले सोनकच्छ थाना क्षेत्र याद आता है जब भी कोई ट्रक की कटिंग इंदौर भोपाल हाइवे पर होती है तो सबसे पहले सोनकच्छ का नाम सामने आता है। ऐसे ही पिछले कई सालों से नगर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में दो पहिया व चार पहिया वाहनों की चोरी का आंतक बना हुआ है। सालभर में 200 से अधिक दो पहिया वाहनों की चोरी होती है लेकिन चोरी होने के बाद सैकड़ो गाड़ियों के प्रकरण दर्ज नही होते है, इस प्रकरण में नगर से दो वाहन चोरी हुए है जिसके हिसाब से 15 दिन पूर्व ही गाड़ी चोरी होना बताया है। जबकि सूचना के मुताबिक और फरियादी के अनुसार एक गाड़ी 2 साल से भी पहले ओर दूसरी गाड़ी 6 महीने के लगभग चोरी हुई है, लेकिन मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रकरण देरी से बनाया गया।
प्रकरण दर्ज कराने नही जाने पर आ जाता है एजेंट का फ़ोन – फरियादियों के मुताबिक प्रकरण दर्ज नही कराने पर एजेंट फोन लगाकर अपनी डिमांड करते है जिसके बाद सौदा होता है और अपनी ही गाड़ी को फिर से खरीदा जाता है। इतना सब होने के बाद भी पुलिस इस विषय मे अपना प्रयास नही करती है। गाड़ी चोरी के कितने ही आवेदन और इंट्री कागजो में दर्ज होकर धूल हो जाती है। आवेदकों का कहना है कि यह सब पुलिस की नाक के नीचे ही होता है।