कबीर मिशन समाचार।
(पवन शर्मा)
होली हो या दीवाली हो, नवरात्रि हो या दशहरा हो या शहर में कोई घटना दुर्घटना हो सबकी सेवा में सदैव तत्पर रहती है हमारी पुलिस। हम सब शांति और खुशी से त्यौहार मना सके इसके लिए 24 घंटे सेवा देते ये हमारे पुलिसकर्मी खुद सारे बासी त्यौहार मनाते है। परिवार की अव्हेलना झेल कर होली के अगले दिन होली मनाते है। दीपोत्सव पर सबकी दीवाली मनवा कर फिर अपने परिजनों के साथ दीवाली मनाते है। 24 घंटे लॉ एंड आर्डर संभालकर शांति व्यवस्था कायम रखने वाले खुद के घर की अशांति झेलते है।
एक पुलिसकर्मी की निजी जिंदगी में यदि झाँककर देखों तो सिवाए दर्द के कुछ नही मिलता है।
हमारे घर मे तो किसी को छींक भी आ जाए तो हम सब दौड़ लगा देते है और इनके परिजनों के बड़ी समस्या भी हो जाए तो छुट्टी नही मिलती। ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते है कि जब ये इनके ही कुटुंब और परिवार में अपनों के मांगलिक या दुख की घड़ी समय से नही पहुंचते तो सभी के दुश्मन बन बैठते है।
दूसरे के बच्चों की रक्षा करते अपने ही बच्चों को लाड़ लड़ाने से वंचित रहते अंदर ही अंदर से टूटे रहते है।
किसी नेता की रैली हो सभा दो दिन पहले से ही धूप छांव की परवाह किये बिना लगे रहते है। एक्सीडेंट या घटना घर परिवार की टेंशन दूर छोड़ तुरंत दौड़कर मोर्चा संभाल लेते है।
हालांकि लोगों में पुलिसकर्मियों के लिए कई तरह की अवधारणा बनी हुई है। कुछ अपवादों को छोड़कर हर समय इन्हें कोसना भी ठीक नही। इनके हालातों को समझना भी बड़ा मुश्किल है। ड्यूटी और व्यक्तिगत जीवन के बीच मे हर क्षण संघर्ष करते ऐसे हमारे पुलिस भाईयों के लिए दिल से सल्यूट तो बनता है।