कबीर मिशन समाचार
नलखेड़ा
सरस्वती शिशु मंदिर पर मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन की प्रेरणा ओं से ओतप्रोत कार्यक्रम का आयोजन किया गया मुख्य अतिथि के रूप में श्री गोविंद जी वेदिया विशेष अतिथि के रूप में श्री रावल साहब प्राचार्य महोदय शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नलखेड़ा रहे एवं श्री गोविंद जी विश्वकर्मा भूतपूर्व सैनिक भी रहे कार्यक्रम की अध्यक्षता सरस्वती शिशु मंदिर नलखेड़ा के प्राचार्य श्री यादव साहब ने की सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा भगवान आदि शंकराचार्य जी को पुष्पमाला पूजन अर्चन कर उन्हें नमन किया गया कार्यक्रम की रूपरेखा एवं स्वागत भाषण देते हुए मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के अधिकारी श्री शर्मा जी द्वारा संपूर्ण मध्यप्रदेश में एक साथ भव्य रूप में इस जयंती को मनाने के बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी का संदेश सुनाया तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में माननीय गोविंद जी के द्वारा प्रेरक प्रसंगों के द्वारा आदि गुरु शंकराचार्य जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया तत्पश्चात प्राचार्य महोदय श्री रावल साहब द्वारा प्रकृति को जोड़कर तथा देश धर्म और वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं सामाजिक समरसता पर विशेष जोर देते हुए पूज्य गुरुदेव आदि शंकराचार्य जी की प्रेरणा ओं को जन जन तक पहुंचाने का संदेश दिया।
तत्पश्चात आकाशवाणी एवं दूरदर्शन कलाकार कवि एवं गायक नवाचारी शिक्षक सत्य मंगल मांगीलाल कुलश्रेष्ठ अमन द्वारा भगवान आदि गुरु शंकराचार्य जी के संपूर्ण जीवन व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा अपने अल्प जीवन में सब कुछ अलग करने का गौरव इस देश और दुनिया के लिए जो आपने निरूपित किया उस पर आधारित एक स्वरचित गीत के माध्यम से सु मधुर स्वरों में सुना कर जन जन का मनहर लिया शब्द थे आग लगी आकाश में झर झर पड़े अंगार संत नी होते जगत में तो जल मरता संसार रचना में लिखा आज वैशाख सुदी पंचमी पर धरती पर उतरा लाल धन्य हुई पावन धरा भारत हो गया मालामाल।। शिव शंकर रूपा थाने नहीं भूला एक घड़ी, आपने अज्ञानता की तोड़ी दी कड़ी शिव शंकर रूपा नहीं भूला एक घड़ी।,, 33 करोड़ को भरम मिटायो राखी केवल 33 कड़ी, कोटि का अर्थ करोड़ नमाना प्रकार की जोड़ी कड़ी शिव शंकर रूपा नहीं भूला एक घड़ी इस प्रकार अंत में, अमन कहे सुनो जग के लोगों नीर में क्षीर भरी , मेटो अपनी भरम भावना,, सत्य की जोड़ों कड़ी।। गुरु दाता थाने नहीं भूला एक घड़ी यह भजन सकल विश्व को एक अमूल्य निधि के रूप में अनुसरण एवं अनुकरण के लिए आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यावश्यक यह भी बताया जब तक हमारी सांसों में समास है हम सत्य अहिंसा ,अस्तेय, अपरिग्रह एवं उच्च सोच गहन बुद्धि के साथ जनमानस से आदर्श व्यवहार करें।। तत्पश्चात कार्यक्रम का आभार श्री सिसोदिया जी द्वारा माना गया स्वल्पाहार के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।