कबीर मिशन। सारंगपुर से धर्मेन्द्र माण्डले की रिपोर्ट
सारंगपुर। सीखना हमारे जीवन की अमूल्य क्रिया है। सीखने का तात्पर्य केवल किसी विशेष कार्य में महारत हासिल करने से नहीं है। सीखने का तात्पर्य हर क्षेत्र में अपने कार्य, व्यवहार और अपने लिए उचित निर्णय, क्षमता का होना। यह कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। हम हमारे सामने घट रही हर – पल की घटना से कुछ सीख सकते हैं। यह सब हमारे स्वयं के ऊपर है कि हम उसे अच्छाई सीखते हैं या फिर बुराई। सीखने वाला हर व्यक्ति गलत चीजों से भी अच्छाई सीख सकता है और अच्छी चीजों से बुराई सीख सकता है। उक्त उद्गार सरस्वती विद्या मंदिर में आयोजित मातृगोष्ठी के अंतर्गत उपस्थित माताओं के बीच में कार्यक्रम मुख्य अतिथि शिक्षिका श्रीमती वैजयंती चौरसिया ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम अतिथियों के कर कमलों द्वारा मां सरस्वती जी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर मां सरस्वती की वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया । उपस्थित अतिथियों का स्वागत विद्यालय शिक्षिका श्रीमती वंदना गौड़ ने किया एवं उपस्थित अतिथियों का परिचय विद्यालय शिक्षिका श्रीमती पूजा तिवारी ने किया । कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शिक्षिका श्रीमती सरोज पवार उपस्थित थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय वरिष्ठ शिक्षिका श्रीमती शोभा सोलंकी ने की।
कार्यक्रम विशेष अतिथि शिक्षिका श्रीमती सरोज पवार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हर बालक की माताओं को अपने बच्चों को संस्कार का पाठ सीखना चाहिए क्योंकि वह अपने घर के संस्कारों से ही सीखता है। घर पर जिस प्रकार का वातावरण होगा बालक इस वातावरण में ढलता जाएगा। कार्यक्रम में संस्कार संबंधित गीत का गायन विद्यालय शिक्षिका श्रीमती मोनिका शर्मा ने किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय शिक्षिका श्रीमती छाया जोशी ने किया। किया
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित अतिथियों एवं मातृ शक्ति के रूप में अभिभावक माताओं का आभार विद्यालय शिक्षिका श्रीमती शीला चौहान ने किया शांति पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।