कबीर मिशन समाचार।
मध्यप्रदेश | आपको बता दे की भीम आर्मी नामक संगठन जो की उत्तरप्रदेश से संचालित हो रहा है। पिछले 5 सालों से मध्यप्रदेश मे सक्रिय भूमिका निभा रहा था। एक ईमानदार संगठन और संगठन में ऊपर प्रोटोकॉल हो न हो लेकिन मध्यप्रदेश मे शुरु से ही संगठन मे विशेष प्रोटोकॉल व अनुशासन का आभाव रहा है। यह कथन शुरुआत से ही भीम आर्मी मे कार्य करने वाले युवाओ का है। आज के समय मे इस संगठन में कोंन किस पद है इसके बारे में सभी एक दूसरे को फर्जी बताने मे लगे है। आपको बता दे की भीम आर्मी /आसपा ने इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं। बड़े जोरों से प्रत्याशी लिस्टो का प्रचार हुआ और कई जगह पर विरोध भी।
विरोध का ये रहा कारण-:
आपको बता दे की जब प्रत्याशी का नाम घोषित किये गये तब पता चला को टिकिट ऐसे व्यक्ति को मिला जिसने कभी संगठन मे काम नही किया और न ही संगठन व बाबा साहब के बारे में जानता हो। कही कही तो ऐसे व्यक्तियों को टिकिट मिले जिन्होंने पिछले समय मे sc st वर्ग के साथ अत्याचार किया था। फिर भीम आर्मी ने उनके लिए आंदोलन किये और फिर आज उन्ही को टिकिट मिलने पर संगठन में लग्न से काम करने वालो ने विरोध जताया।
कई सीटों पर ऐसे व्यक्तियों का नाम दिया जिन्हे संगठन मे लगभग सब जानते भी है और काम भी किये है। इसलिये उन प्रत्याशियों का समर्थन सोशल मीडिया पर भरपुर देखने को मिला।
विरोध के बाद कार्यकर्ताओ की प्रतिक्रिया –
आपको बता दे की जब बिना जान पहचान वाले, बिना काम करने वाले और sc st वर्ग के विरोधी व्यक्तियों को टिकिट दिया गया तो कार्यकर्ताओ ने नाराजगी जताते हुए भाजपा मे जाने की इच्छा व्यक्त की, और सुसनेर, तराना, जैसे कुछ जगह पर तो भाजपा की सदस्यता भी लेने की खबर वाइरल है। हालाँकि सुसनेर तहसील अध्यक्ष ने व्हाट्सप ग्रुप मे इसका खंडन भी किया।
भीम आर्मी ने हाल हि में भोपाल में आरक्षण बचाओ आंदोलन किया था। उसका कारण था करणी सेना द्वारा किये गये आरक्षण हटाओ आंदोलन। मतलब साफ तोर पर कि, करणी सेना भीम आर्मी की मुख्य विरोधी रही है।
लेकिन देखने में आया की आज आज़ाद समाज पार्टी के लोग करणी सेना अध्यक्ष जीवन सिंह सेरपुर को साथ लेकर हि वोट मांग रहे है। क्या है कारण क्या सच मे करनी सेना अध्यक्ष जीवन सिंह सेरपुर भीम आर्मी के पक्के समर्थक बन गये है? या फिर ये भाजपा की चाल हो सकती है कांग्रेस के वोट बटोरने की…? इतने सबके बाद भी आखिर प्रदेश टीम मौन का कारण क्या हो सकता है? क्या प्रदेश टीम भी भाजपा से बैठक कर चुकी है, या फिर कोई ओर है कारण?
यह भी जाने-:
भीम आर्मी राजगढ़ की बात करे तो यह कभी प्रदेश टीम की आवश्यकता नही पड़ती। यह के कार्यकर्ता इतने मजबूत थे की कोई भी मामला हो, कोई भी बात हो, कोई भी प्रोग्राम हो खुद हि संभाल लेते थे। जिले की सारंगपुर तहसील टीम हमेशा चर्चा का विषय रही है। सारंगपुर टीम के बारे में जाना तो पता चला की इस टीम के नेतृत्वकर्ता कभी अपने आप को नेतृत्व नही मानते है, यह हर फैसला टीम वर्क में होता था। यह तक की टीम वर्क से इस टीम ने राजगढ़ जिले की सभी तहसीलों के साथ आगर, नलखेड़ा, देवास, शाजापुर, शुजालपुर, सुसनेर, कालापीपल, यह तक की प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी अपने सारंगपुर का परचम लहराया है। इस टीम की विशेषता रही की चाहे कोई काम किसी समय एक व्यक्ति करता है, लेकिन कभी श्रय नही लेता है। पुरा श्रय अपनी टीम को देता है। पुरा राजगढ़ जिला लगभग इस टीम पर निर्भर था और संचालित भी होता था।
जानिये आखिर अब राजगढ़ जिले मे क्या हुआ।
आपको बता दे की सारंगपुर टीम का अपना एक विशेष प्रोटोकॉल था जिसमे स्पष्ट था की उपर के पदाधिकारी को सूचित करने के बाद यदि तुरंत प्रतिक्रिया न आये तो बिना आदेश इंतजार किये न्याय की आवाज बुलंद करना। यदि गलत किया है तो खुद एक्शन लिया जाय, ऐसा नही की सूचना भी नही देते थे। पहले जिला अध्यक्ष ओर फिर प्रदेश अध्यक्ष को सूचित कर दिया जाता था। लेकिन इन लोगो के द्वारा कोई निर्णय नही आता था इसलिए खुद हि निर्णय लेकर अन्याय के खिलाफ न्याय को आवाज बुलंद करने का कार्य सारंगपुर टीम ने हमेशा किया और ये हमने ओर आप सबने देखा होगा।
टीम के इसी अटूट बंधन व सक्रियता और सत्य के साथ आगे बढ़ना सबको पसंद था। सारंगपुर का उदाहरण पूरे प्रदेश मे दिया जाता था। लेकिन फिर आज़ाद समाज पार्टी का उदय हुआ। सबको लगा की अच्छा हुआ, अब हमारी पार्टी हम भीम आर्मी प्रमुख को प्रधानमंत्री बनायेंगे। लेकन सारंगपुर टीम ने सूज बुझ से पार्टी में स्थान न लेने और दोनो नाम एक मंच पर न लेने की बात रख दी। वास्तव में पार्टी जहां जहां चाली व्यवस्था बिगड़ती चली गयी। लेकिन सारंगपुर में तब भी वैसा ही काम चल रहा था। लेकिन ये प्रदेश टीम को रास नही आया और सारंगपुर के ही कुछ लोगों को बड़े पदो के लालच मे लाकर टीम से तोड़ लिया और उनके आधार पर सारंगपुर मे पार्टी के पद बांटे जाने लगे। हालांकि जिन लोगों को पद बांटे कई लोगों से बात भी हुई कुछ ने तो यह तक कह दिया की हमे नहीं पता था की ये पद दे रहे है? हमसे तो केवल नाम पता पूछा था।
फिर भी टीम का कार्य वैसे हि चल रहा था, लेकिन कुछ जब टीम ने पार्टी को एक मंच पर स्वीकार नही किया तो उन्हे संगठन से निकालने के लेटर आने लगे। सारंगपुर के समस्त प्रारंभिक व मजबूत पदाधिकारियों को संगठन से निकाल दिया गया। ये देख उनसे जुड़े समस्त ब्लॉक, तहसील, ग्रामीण, मंडल सभी पदाधिकारियों ने एक एक करके अपना स्तीफा भेज दिया। यह तक की जिले मे भी कई अधिकतर मिशन के लोग यह देख कर अपने काम काज मे लग गये और उन्होंने कहा की हमारे जिले के सच्चे व मजबूत लीडरों का ये हाल है मतलब संगठन कही ना कही गलत रास्ते पर मुड़ चुका है। जिले में होने वाली समस्त संगठनात्मक क्रियाये पूर्णतः बंद हो गयी। सभी ने जिला अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराया, और प्रदेश टीम ने नहीं सुना तो प्रदेश अध्यक्ष को भी भला बुरा कहा और संगठन से दूर हो गये।
अब सारंगपुर मे भीम आर्मी का कोई नही बचा था सिवाय लालच में टीम से टूटे व्यक्तियों के आलावा। हालाँकि सारंगपुर टीम तब भी उसी मजबूती से काम करती रही, केवल भीम आर्मी जैसे संगठन को न छोड़कर। पूरे जिले मे संगठन ठप्प हो गया लेकिन सारंगपुर टीम अब भी चल रही हैं पूरे जिले मे काम कर रही।
अभी अभी ताजा बात बता दे की विधानसभा चुनाव में विधानसभा खिलचीपुर में संगठन मे काम करने वाले व्यक्ति ने टिकिट मांगा, फॉर्म भरकर पार्टी को दिया और शायद कुछ राशि भी (शायद सभी जगह से मिली हो।) दी लेकिन अंत में टिकिट किसी अन्य ऐसे व्यक्ति के नाम हो गया जो कभी संगठन में तो नहीं था पर संगठन के खिलाफ आंदोलन जरूर किया था। सबने कुछ समय विरोध किया लेकिन प्रदेश के लोगों ने नही सुनी, और फिर उक्त चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति ने फॉर्म वापस ले लिया कारण क्या रहा पता नहीं, लेकिन इतना जरूर पता चला की जिसे टिकिट मिला उसने पिछले दिनों दलित की शादी मे हंगामा किया था व भीम आर्मी के खिलाफ प्रोटेस्ट भी। विधानसभा सारंगपुर में तो संगठन का वर्चस्व पुरी तरह ख़त्म हो चुका था। कुछ लालची लोग बचे थे उन्होंने किसी नए व्यक्ति को टिकिट दिलवाया और फॉर्म भी भरा, लेकिन फॉर्म रिजेक्ट हो गया, कारण क्या रहा पता नही, पर सूत्रों से पता चला की फॉर्म किसी विरोधी पार्टी में रिजेक्ट करवाया और यह आरोप पार्टी कार्यकर्ताओ ने भी लगाया।
हालांकि कुछ लोगों ने इसमें पैसो का झोल भी बताया। फिर राजगढ़ जिला अध्यक्ष बसपा का समर्थन जाहिर करने लगे और अपने आप को आसपा जिला अध्यक्ष बताकर एक व्यक्ति संगठन के जिला अध्यक्ष को फर्जी बताता है और समर्थन को खारीज करता है। इसी में आगे पार्टी का संभाग अध्यक्ष पार्टी के अध्यक्ष को फर्जी बताते हुए कहता है की राजगढ़ मे कोई जिला अध्यक्ष नही है। मतलब सभी एक दूसरे को फर्जी बताने में लगे है। जब इन्हे ये हि नही पता की कौन किस जगह है तो संगठन की क्या हालत हो गयी आप देख सकते है। कुछ बाते जो राजगढ़ जिला अध्यक्ष ने भी प्रदेश अध्यक्ष व प्रदेश टीम से सम्बन्धित कही उस पर शोध कर अगले अंक मे दिखाया जायेगा।