मूलचन्द मेधोनिया पत्रकार भोपाल
सिंगरौली। देश सबका है सबको मानवीय अधिकार मिलना ही चाहिए। आज अमीर और अमीर होते जा रहा है और गरीब जैसा कि तैसा सरल मुंह से कहा जा सकता है कि गरीब को मेहनत करनी चाहिए तब वह अमीर होगा। लेकिन सच्चाई कुछ और भी है, जो कि चोरी, बेईमानी, लुटपाट व डकैती कर अर्जित बेसुमार संपत्ति क्या कोई पैदा होते साथ लेकर आता है।
यह बिल्कुल भी सही नहीं है। यहां अकूत संम्पति जिसके भी पास है उसमें बेईमानी का अंश है। ईश्वर ने सभी को बराबर भेजा है, फिर यहाँ पर जो भी षड्यंत्र रचा गया जिसकी लड़ाई पूर्व से चली आ रही है। यही के मूल निवासियों के पास केवल जल, जंगल और जमीन थी। जिसके वह मालिक थे, जिनसे षड्यंत्र कर अमीर बनने और गरीबों को गुलाम बनाने के उद्देश्य से जल, जंगल व जमीन छीनी गई ।
उक्त विचारों के क्रांतिकारी श्री बद्री प्रसाद जी है। जिन्होंने वरिष्ठ पत्रकार मूलचन्द मेधोनिया को जानकारी देते हुए बताया है कि मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की चितरंगी तहसील में बगदरा अभ्यारण में बंजर भूमि पर भूख से तड़पते भूमिहीनों ने भूख मिटाने के लिए खेती करने की शुरुआत कर दी है। जहां लोगों के पास सैकड़ों एकड़ भूमि है वही गरीब के पास अपना पेट की भूख मिटाने के लिए एक एकड़ तक जमीन नहीं है। यह सरासर अन्याय हो रहा है, गरीब बहुत मेहनत व अपना श्रम करना चाहते है लेकिन उसके पास भूमि नहीं है। जो सरकार भूमि है जिस पर जमीदारों, अमीरों, फैक्ट्री मालिकों और राजनैतिक लोगों के पास अनाप सनाप भूमि अवैध तरीके से काबिज है।
जिसकी जांच होनी चाहिए, सरकार के पास भी बेमतलब की जमीन खाली अनेकों मद के नाम पर है।जिसका लाभ भी अमीर समय समय पर उठा कर मौज मस्ती कर रहे है। जब सिंगरौली के गरीब, मजदूर और दलित- आदिवासी खेती कर अपना मरण पोषण करना चाहते है तो वहां पर वन विभाग द्वारा परेशान किया जा रहा है। गरीब परेशान है करें तो क्या करें? मजदूरी करने जाओं तो ये अमीर पैसे कम देते है। श्रम अधिक लेकर शोषण करते है। रेड फ्लैग पार्टी के राज्य सचिव श्री बद्री प्रसाद ने मध्यप्रदेश के गरीब भूमिहीन दलित आदिवासियों की भूमि की मांग का समर्थन करने हेतु गरीबों के हक के लिए नारा बुलंद किया है कि
जो जमीन सरकारी है वह जमीन गरीबों की है। उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से अपील की है कि वह भूमिहीनों के हितों में ले प्राकृतिक निर्णय वरना गरीब भूमिहीन करेंगे महासंग्राम अपने पेट की भूख सबसे बड़ी होती है जो गरीब, मजदूर अब नहीं करेंगे बरदास्त।
गौरतलब है कि भारत सरकार जब चीन को 4000 वर्ग किलोमीटर, बंगला, देश को हजारों हेक्टेयर व साइप्रस देश के नागरिक अडानी को करोड़ों हेक्टेयर जमीन दे सकते हैं तो देश के भूमिहीनों को जमीन क्यों नहीं दी जा सकतीं। देश में गरीबों को धोखा देने के लिए भूदान आंदोलन, शीलिंग की जमीन वितरण की नौटंकी दर्जनों बार 75 बर्ष की आजादी में की गई। लेकिन भूमीहिन भूमिहीन ही है ही है, अब यदि भूमिहीनों को जमीन नहीं दी गई तो भूमिहीन जान की बाजी जमीन लेकर रहेगा।