कुछ साल पहले एक आला अफसर ने भरी मीटिंग में इंदौर को गांवडा बताया था और तब इसको लेकर काफ़ी बहस भी हुई
.. सवाल अभी भी कायम है कि क्या इंदौर अभी भी मानसिक रूप से गांवडा ही है… चमचमाते शॉपिंग मॉल ,हॉस्पिटल स्कूल, कॉलेज से लेकर तमाम गगनचुंबी इमारतों के साथ।
अब तो मेट्रो ट्रेन भी जल्द दौड़ने लगेगी और मुख्यमंत्री की मेहरबानी से इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन पर भी काम चल रहा है मगर अभी भी इंदौर की नेता नगरी , जिसमें नगर निगम वाले ठेले, गुमटी और वार्ड में बनने वाली बिल्डिंगों पर निगाह रखने और ठेकेदारों से कमीशन वसूली से ऊपर नहीं उठ सके हैं।
, वही दूसरे प्रमुख नेताओं सहित तथाकथित बुद्धिजीवियों के साथ मीडिया का एक वर्ग भी ऐसा है, जिनकी आस्था इतनी छुईमुई है कि वह किसी शराब पार्टी या फैशन शो जैसे आयोजन से ही ध्वस्त हो जाती है…पहले इसी तरह नाइट कल्चर का हल्ला मचाया जबकि हकीकत में ऐसा कुछ था नहीं
और जो घटनाएं उस दौरान हो रही थी, वह आज भी बदस्तूर जारी है… जब कोई शहर विकास करता है तो अच्छाई के साथ कुछ बुराई भी जुड़ती है ..आज मुंबई ,दिल्ली, बेंगलुरु या चेन्नई जैसे महानगरों में क्या देर रात की पार्टियां या दिलजीत दोसांझ जैसे शो नहीं होते हैं।
.. अगर आईटी या ऐसे निवेश लाना है तो उनसे जुड़े प्रोफेशनल्स को उसके मुताबिक माहौल भी देना होगा… मगर हद तो ये है कि सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक , महापौर से लेकर अन्य एक आयोजन को लेकर इस तरह छाती माता कूट रहे हैं।
… मानो इंदौर रसातल में ही चला जाएगा…एक तरफ तो इंदौर को देश दुनिया में अव्वल बताया जाता है और तरक्की के पैमाने पर उसे महानगरों से होड लेता कहा जाता है तो दूसरी तरफ गांव खेड़े की विकलांग मानसिकता अभी भी हावी है.. जो किसी फैशन या गायक के शो का विरोध करती है।
…हालांकि इसके पीछे क्या मंशा रहती है ..वह भी जग जाहिर है …बहरहाल दिलजीत का शो अगर हो रहा है तो इससे पेट में मरोड़े क्यों उठाना चाहिए.. एक तबका अगर उसे पसंद करता है तो वह देखने जाएगा.. जिसे भजन कीर्तन करना है तो उसके भी कई आयोजन है
.. आखिर समाज में सभी तरह की गतिविधियां होती है.. एक तरफ मल्टीप्लैक्स है तो दूसरी तरह मंदिर भी है.. एक खुला समाज हर तरह की गतिविधियों को अंगीकार कर ही आगे बढ़ता है.. जब तक कि वह किसी निर्धारित सीमा रेखा का उल्लंघन नहीं करता हो… और हा.. दिलजीत के शो में अपनी कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं.. फोकट में भी देखने न जाऊं..@ *राजेश ज्वेल*