कबीर मिशन समाचार धार से मयाराम सोलंकी खास रिपोर्ट
धार- जिले में नगदी फसल के रूप में कपास फसल का रकबा विगत तीन वर्षों से लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2021 में लगभग 98 हजार हेक्टेयर से वर्ष 2023 मे बढ़कर 1 लाख 9 हजार हेक्टेयर के लगभग कपास फसल की बुवाई हो गई है ।
उप संचालक कृषि ज्ञानसिंह मोहनिया एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जी. एस. गाठिये द्वारा किसनो के यहाँ पर प्रारम्भिक निरीक्षण के दौरान कपास फसल में विल्ट जैसी बिमारी का कही-कही प्रकोप देखने में आया है। इस हेतु कपास अनुसंधान केन्द्र खण्डवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एस. के. परसाई एवं डॉ. एस. के. आरसिया द्वारा जिले के प्रभावित क्षेत्रों का अवलोकन करने हेतु 25 एवं 26 अगस्त को भ्रमण कर कपास फसल का निरीक्षण किया गया। इस दौरान संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी कृषि, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एवं ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी उपस्थित रहें ।
विकास खण्ड बाग मे 25 अगस्त को ग्राम बरखेडा के कृषक श्री प्रताप, रिछु, भेरू, कालु, कैलाश एवं जामसिंह एवं ग्राम भमोरी के कृषक श्री धनसिंह पिता पुनिया, प्रेमसिंह पिता मडिया एवं ग्राम बागपुरा के कृषक श्री सुनिल पुनिया के यहाँ कपास फसल का अवलोकन किया गया। जिसने जैसिड, एफिड एवं न्यू बिल्ट का आंशिक रूप से प्रकोप देखा गया । विकास खण्ड तिरला में शनिवार को ग्राम आमला के कृषक श्री धारजा पिता नारायण श्री धुमसिंह जगन पिता हिरालाल के यहाँ कपास फसल का निरीक्षण किया गया जिसमे जैसिड एफिड एवं न्यू विल्ट का आंशिक रूप से प्रकोप देखा गया। इसी प्रकार विकास खण्ड मनावर के कृषक श्री मेवालाल पटेल के यहाँ पर भी न्यू विल्ट का आंशिक प्रकोप देखा गया ।
कृषको को मौके पर ही एफिड, जैसिड एवं सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिये डायथिरन 50% 650 एम.एल. प्रति हेक्टेयर अथवा ईमिडाक्लोरोपिड 650 एम. एल. प्रति हेक्टेयर में 500 से 600 लीटर पानी के साथ घोल बनाकर फसल छिड़काव करे तथा पोटाश की कमी को दूर करने के लिये तरल पोटाश 15 ग्राम प्रति लिटर पानी के घोल का 15 दिन के अंतर पर 3 पम्प प्रति विधा छिडकाव करने की सलाह दी गई। न्यू विल्ट के नियंत्रण के लिए 25 ग्राम यूरिया प्रति पम्प ( 18 लीटर) का घोल बनाकर कपास पौधे के आस पास ड्रेन्चिग लगभग 15 से 2 लीटर घोल प्रति पौधे के मान से करें तो ही न्यू विल्ट रोग से नियंत्रण किया जा सकता है।
साथ ही आगामी समय मे अमेरिकन बालवर्म (इल्ली) के नियंत्रण के लिये एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के रूप मे कृषक भाईयो को एक एकड़ में लगभग 12 से 15 फेरोमेन ट्रेप लगाने की सलाह दी गई। साथ ही ट्रेम मे लगने वाला ल्यूर (सेप्टा) को लगभग 20 से 25 दिन में बदल कर नया ल्यूर (सेप्टा) फेरोमेन ट्रेप में लगाकर कपास फसल मे बालवर्म (इल्ली) का आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।