अटेर :भिंड जिले के अटेर विकासखंड के अनुसूचित जाति गांव के ग्रामीण नर्कीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं यहां आजादी के 70 वर्षों बाद भी गांव की मुख्य सड़क पक्की नहीं बन पाई है
वही पुरानी उबड़ खाबड़ कच्ची सड़क आज भी उस से ही होकर ग्रामीण निकलते हैं लेकिन बरसात होते ही आम रास्ते में पानी भर गया और कीचड़ से पट गया है ग्रामीण दलदल में होकर मजबूरन निकल रहे हैं वही बच्चे बूढ़े बुजुर्गों का घर से निकलना दुश्वार हो रहा है, जब उस कीचड़ से निकलते है
हैं गाँव के बच्चों की शिक्षा भी चौपट हो रही है’ आजादी के बाद से कई सरपंच बने विधायक बने मंत्री हैं बने ग्रामीणों ने सभी से मिन्नतें की बावजूद भी गांव को सड़क नसीब नहीं हो पाई चुनाव के समय बड़े बड़े वादे करके चलें जाते है
चुनाव जीत जाते है तो कोई जनप्रतिनिधि गाँव मे आता भी नहीं है इसलिए इस बार ग्रामीणों ने मन बनाया है ग्रामीणों की तरकीब कितनी कारगर साबित होती है क्या अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के कामों तक ग्रामीणों की आवाज पहुंचती!