दतिया से विकास वर्मा की रिपोर्ट ।
दतिया – विश्व क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज डे’’ पर जिला चिकित्सालय में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान आमजन को सीओपीडी के संबंध में जानकारी देते हुए उपचार एवं सावधानियों के संबंध में जागरूक किया गया।
इस मौके पर डॉ. दिनेश सिंह तोमर आरएमओ, डॉ. जगराम माझी शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ. एस. एन. शाक्य मेडिकल स्पेशलिस्ट, डॉ. के.एल. गुप्ता सर्जरी विशेषज्ञ, पुष्पेंद्र कौरव क्रिस्टोफर, संजय मेल नर्सिंग ऑफिसर सहित अन्य जिला चिकित्सालय का स्टाफ उपस्थित रहा।डॉ. तौमर ने कहा कि सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) एक लंबी अवधि की सांस संबंधी बीमारी है,
जिसमें फेफड़ों की वायुमार्ग में संकुचन होता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। चार चरणों में मानव शरीर को प्रभावित करने वाला यह रोग कभी-कभी जीवन के लिए खतरा बन जाता है।
किन कारणों से होती है सीओपीडी,डॉ. तोमर की मानें तो सीओपीडी धूम्रपान, वायु प्रदूषण, फेफड़ों की बीमारियां, जेनेटिक कारक, वृद्धावस्था और श्वसन संबंधी संक्रमण के कारण होती है।सीओपीडी के लक्षण क्या है,जब किसी व्यक्ति को यह बीमारी होती है तब उसमें सांस लेने में परेशानी, खांसी, बलगम निकलना, सीने में दर्द, थकान, श्वांस फूलना, नींद में परेशानी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
चार चरणों में इस तरह प्रदर्शित होते है। लक्षण,सीओपीडी को चार चरणों में बांटा गया है। हल्का, मध्यम, गंभीर और अत्याधिक गंभीर स्थिति। पहले चरण में हल्का असर होता है जिसमें सांस लेने में थोड़ी परेशानी होती है।
दूसरे चरण में मध्यम संक्रमण देखने को मिलता है जिसमें प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी, खांसी और बलगम बनता है। तीसरे चरण में स्थितियां थोड़ी गंभीर हो जाती हैं जिसमें मरीज को श्वांस लेने में बहुत परेशानी होने के साथ-साथ सीने में दर्द होता है।
जबकि चौथे और अंतिम चरण अत्यधिक गंभीर होता है, इस चरण में श्वांस लेने में तो परेशानी होती ही है इसके साथ ही कभी- कभी मरीज का जीवन खतरे में पड़ जाता है।, सीओपीडी का निदान,सीडीओपी के निदान में स्पिरोमेट्री टेस्ट, एक्स-रे और सीटी स्कैन, रक्त परीक्षण, श्वसन कार्य परीक्षण कराना है।
सीओपीडी का,उपचार,सीडीओपी के उपचार में ध्रूमपान बंद करना, वायु प्रदूषण से बचाव, इनहेलर और नेबुलाइजर, एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड, ऑक्सीजन थेरेपी, श्वसन व्यायाम और फिजियोंथेरेपी, संजरी गंभीर मामलो में कराना है।
सीओपीडी की रोकथाम, सीडीओपी की रोकथाम में धू्रमपान न करें, वायु प्रदूषण से बचें, फेफडों की बीमारियों से बचाव, नियमित व्यायाम करें, स्वास्थ्य आहार ले, नियमित जांच कराएं।
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