मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के सलकनुपर के पास, एक हजार फीट उंचे विन्ध्यापार्वत पर, मता विजयासन देवी का मंदिर है। यह देश के प्रसिद्ध शक्ति पीठों में से एक है। पुराणों के अनुसार देवी विजयासन माता पार्वती का ही अवतार हैं। जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध कर सृष्टि की रक्षा की थी।
रक्तबीज का संहार कर विजय पाने पर देवताओं ने यहॉं माता को जो आसन दिया, वही विजयासन धाम के नाम से विख्यात हुआ, और माता का यह रूप विजयासन देवी कहलाया।एक किवदंति यह भी प्रचलित है कि लगभग 300 साल पहले बंजारे अपने पशुओ के साथ जब इस स्थान पर विश्राम करने के लिए रूके तब अचानक उनके सारे पशु गायब हो गए।
बहुत ढूंढने के बाद भी पशु नहीं मिले। तभी एक बुर्जुग बंजारे को एक बालिका दिखाई दी। उस बुजुर्ग ने उस बालिका से पशुओं के बारे में पूछा तो उसने कहा कि, इस स्थान पर पूजा-अर्चना कीजिए आपको सारे पशु वापस मिल जाएंगे। और हुआ वैसा ही।
अपने खोए हुए पशु वापस मिलने पर बंजरों ने उस स्थान पर मंदिर का निर्माण किया। तभी से यह यह स्थल शक्ति पीठ के रूप में स्थापित हो गया। देशभर से हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन माता विजयासन के दर्शन एवं पूजा अर्चना के लिए आते हैं।
नवरात्रि में यहॉं विशाल मेला लगता है। शारदीय नवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु मता के दर्शन के लिए आते हैं। यह भोपाल से 75 किलोमीटर दूर सीहोर जिले के सलकनपुर नामक गांव के में स्थित है। मंदिर परिसर तक रोप वे और सड़क मार्ग के साथ ही सीढ़ी मार्ग से भी जाया जा सकता है। मंदिर परिसर तक लगभग 1400 सौ सीढ़ियॉं हैं।