सीतामऊ -: रक्त सेवा हिंदुस्तान के तत्वावधान में हम यहमे थेलेसीमिया बच्चों के लिए सीतामऊ नगर मे स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। नागेश्वर मालवीय निवासी राणाखेड़ा (रक्तदान सेवा हिंदुस्तान संस्थापक) ने बताया की थेलेसीमिया सिकलसेल जो बीमारी है। इस बीमारी मे मरीज को हर पंद्रह से बीस दिन मे ब्लड चड़ता है।थेलेसीमिया बीमारी दो प्रकार की होती है माइनर थेलेसिमिया या मेजर थेलेसीमिया, किसी महिला या पुरुष के शरीर मे मौजुद क्रोमोजोम खराब होने पर बच्चा माइनर थेलेसिमिया का शिकार बनता है, लेकिन अगर महिला व पुरुष दोनो व्यक्तियों के क्रोमोजोम खराब हो जाते है। तो यह मेजर थेलेसिमिया का शिकार बनता है, जिसकी वजह से बच्चे के जन्म लेने के 6 महिने बाद से शरीर मे खुन बनना बन्द हो जाता है, ओर उस बच्चे को बार बार खुन लगाना पड़ता है।
थेलेसिमिया पीडित के इलाज मे हर बार दुसरे व्यक्ति का रक्त चड़ाना पड़ता है तथा काफी दवाईयो की आवश्यकता पड़ती है इन सभी मे काफी रुपयो का खर्च हो जाता है। इसलिए इस बीमारी का इलाज हर व्यक्ति नही करवा पाता है। जिसके चलते 10 साल से 25 साल तक बच्चे की मृत्यू हो जाती है। अगर सही इलाज व समय समय पर ब्लड लगता रहे तो लगभग 25 साल से ज्यादा भी जीवित रह जाते है। जैसे जैसे उम्र बड़ती जाती है।
वैसे वैसे इनके लिए ब्लड की जरुरत बडती जाती है जेसे एक महिने मे 2 यूनिट तथा उम्र के हिसाब से एक महिने मे 4 से 5 यूनिट भी लग सकती है।थेलेसिमिया बीमारी से बचने के लिए 1, विवाह से पहले महिला व पुरुष के रक्त की जांच कराएं।2, गर्भावस्था के दौरान इसकि जांच कराएं।3 , शादी से पुर्व हर शासकीय अस्पताल मे उपलब्ध (एच बी ए टू) (HBA2) की जांच अवश्य कराएं ।
रक्तदान शिविर थेलेसिमिया नामक इस बीमारी से ग्रसित बच्चो के लिए आज सीतामऊ नगर मे स्वेच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन रखा गया समय सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक आप सभी से अनुरोध है की इन बच्चो की जान बचाने के लिए इस रक्तदान शिविर के महायज्ञ मे अपने रक्त की आहुति देकर इन बच्चो की जान बचाए किसी माँ की गोद सुनी ना हो इसके लिए आप रक्तदान जरूर करे। उक्त जानकारी नागेश्वर मालवीय निवासी राणा खेड़ा (रक्त सेवा हिंदुस्तान संस्थापक) ने दी