कबीर मिशन समाचार जिला शाजापुर –
इस अवसर पर शिक्षण शारीरिक (क्रिडा) शिक्षक, उच्च शिक्षा, रचनात्मक लेखन, इंजीनियर टेक्निकल एवं सांइस से संबंधित मेडीकल एवं पेरामेडीकल जैसे डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, प्रशासनिक अधिकारी, क्लर्क रेलवे अधिकारी, प्रतियोगी
परीक्षाओं में समय प्रबंधन, तकनीकी के क्षेत्र में कम्प्यूटर, प्रोग्रामर, आईटीआई, पॉलिटेक्निक, इंजीनियर, मनोदशा और सकारात्मकता पर संवाद किया।
शाजापुर में गुरुवार को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भरड़ में जिला रोजगार कार्यालय के अंतर्गत करियर काउंसलिंग में मनोविज्ञान और विभिन्न विषयों पर विद्यार्थियों को जानकारी दी गई।
इस अवसर पर कॅरियर काउंसलिंग में डॉ. कपिल जाटव, वेभव जैन, डॉ. हरेन्द्रसिह गुर्जर, अम्बाराम मालवीय, बीएल गुवाटिया, प्राचार्य श्री मायाराम पाटीदार, राजेन्द्र कुमार पाटीदार, पंकज मालवीय,नेहा पटवा, ज्योति भटनागर मौजूद रहे।
स्वयं का व्यवसाय बिजनेस, डेयरी, होजयरी शॉप और शासन की विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं के संबंध में विद्यार्थियों को जानकारी प्रदान की गई।
साथ ही आम नागरिकों और जन समुदाय को दुषप्रभावों के संबंध में रैली के माध्यम से जागरूकता प्रदान की गई। साथ ही तम्बाकू का सेवन नहीं करने की शपथ भी दिलाई गई।विद्यालयों में तम्बाकू से होने वाली समस्याओं से अवगत करायाजिला नोडल अधिकारी
डॉ. ललित किशोर शर्मा ने गुरुवार शाम 4:30 बजे बताया कि तम्बाकू विशेषकर गैर धूम्रपान या गुटखा-पाउच चबाने वाले तम्बाकू का अत्यधिक उपयोग करते हैं, जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि चिन्तनीय है।
तम्बाकू के सेवन से कैंसर समेत लगभग 3000 प्रकार की बीमारियां मानव शरीर में हो रही हैं।तम्बाकू से सेवन करने के नुकसान बताए
तम्बाकू का उपयोग धुआं सहित (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, चिलम) धुआं रहित (पाउच, गुटखा) में किया जाता है। तम्बाकू के उत्पादों के दुषप्रभावों के प्रति आमजन को जागरूक होना बहुत जरूरी है।
इसके लिए सामूहिक सहभागिता जरूरी है।तम्बाकू जहर है। जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। तम्बाकू के सेवन से किसी प्रकार से लाभ नहीं है। सिर्फ और सिर्फ सभी प्रकार से इससे हानि ही है।
तम्बाकू के सेवन से आर्थिक नुकसान भी होता है और संपूर्ण परिवार की प्रगति बाधित होती है।तम्बाकू और तम्बाकू युक्त गुटखे के निरन्तर सेवन से मुख के अनेक प्रकार के रोगों में वृद्धि हो रही है। मुख कैंसर जैसे असाध्य रोग से ग्रस्त होकर सेवन करने वाले असमय मृत्यु के शिकार हो रहे हैं।
डॉ. शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम कोटपा अधिनियम-2003 की समस्त धाराओं के बेहतर क्रियान्वयन और जन समुदाय की सहभागिता और अधिनियम के तहत
जिले की शैक्षणिक संस्थाओं को धूम्रपान मुक्त बनाए जाने के लिए सामूहिक योगदान आवश्यक है। विद्यालयीन परिसर के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पादों का सेवन और विक्रय प्रतिबंधित है और सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पूर्णतः प्रतिबंधित है।
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