कबीर मिशन समाचार-राजगढ़
भोपाल। मध्य प्रदेश की नई सरकार के मुखिया के रूप में डॉ. मोहन यादव के सामने वित्तीय स्थिति से जूझना बड़ी चुनौती है नई सरकार के गठन के बाद राज्य शासन 2 हजार करोड़ का लोन लेने जा रही है। यह नई सरकार का पहला ऋण होगा वित्त विभाग ने इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को विलिंगनेस लेटर लिखा है। राज्य सरकार पिछले 7 माह में 25 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। राज्य सरकार पर मार्च 2023 की स्थिति में 3 लाख 50 हजार करोड़ का कर्ज है।
लगातार बढ़ रहा कर्ज का बोझ l
मध्यप्रदेश की पूर्व की शिवराज सिंह चौहान की सरकार, मोहन सरकार पर साढ़े तीन लाख करोड़ के कर्ज का भार छोड़कर गई है। स्थिति यह है कि राज्य सरकार को सरकारी कामकाज चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है। राज्य शासन पिछले 7 माह के दौरान 25 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज बाजार से उठा चुकी है। राज्य सरकार ने चुनाव के पहले सितंबर माह में ही 12 हजार करोड़ का कर्ज लिया था यही नहीं आचार संहिता के दौरान भी अक्टूबर और नंवबर माह में कर्ज लिया गया प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर सरकार दो हजार करोड़ का कर्ज लेने जा रही है इसके बाद
मई माह से कुल कर्ज की राशि बढ़ाकर 27 हजार करोड़ हो जाएगी।
मई माह में राज्य सरकार ने 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया था।
9 जून को 4 हजार करोड़ का कर्ज लिया।
7 सिंतबर को 3 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया।
15 सितंबर को 1 हजार करोड़ का कर्ज लिया।
21 सितंबर को 5 हजार करोड़ का कर्ज लिया।
27 सितंबर को 3 हजार करोड़ का कर्ज लिया।
18 अक्टूबर को 1 हजार करोड़ का कर्ज।
26 अक्टूबर को 2 हजार करोड़ का कर्ज।
22 नंबर को 2 हजार करोड़ का कर्ज लिया गया।
राज्य सरकार पर मार्च 2023 की स्थिति में 3 लाख 50 हजार करोड़ का कर्ज था, जो बढ़कर अनुमानतः पौने चार लाख करोड़ से ज्यादा का हो जाएगा।
आय से 54 हजार करोड़ अधिक है खर्च l
मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले बजट में अपनी आय 2.25 लाख करोड़ रुपए दिखाई थी, जबकि सरकार के खर्चे आय से 54 हजार करोड़ रुपए अधिक है। राज्य सरकार द्वारा चुनाव के पहले लॉच की गई लाड़ली बहना सहित लोक लुभावन योजनाओं ने सरकार के कर्ज के बोझ को और बढ़ा दिया है। लाड़ली बहना योजना पर 2023-24 में ही 10 हजार 166 करोड़ रुपए का खर्च किया गया इस योजना से अगले चार सालों में करीबन 50 हजार करोड़ का बजट भार आएगा नई योजनाओं से सरकार पर हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है। देखा जाए तो सरकार का प्रतिमाह खर्च जून माह के बाद से 2 हजार से बढ़कर 22 हजार करोड़ प्रतिमाह पहुंच गया है।