कबीर मिशन समाचार
जिला ब्यूरो चिफ़ पवन परमार
जिला देवास
देवास। सरकार प्रतिवर्ष शासकीय स्कूलों के रखरखाव व उनको मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है। इसी मद में देवास जिले के शासकीय स्कूलों के लिए भी करोड़ों रुपये आता है, किंतु स्कूलों में काम होता नहीं है और लाखों रुपये की राशि का आहरण हो जाता है। ऐसा ही एक मामला देवास जिले में उजागर हुआ है, जिसमें बताया गया है कि 4 स्कूलों में करीब 32 लाख 31 हजार 471 रुपये खर्च तो हो गए, किंतु वहां के प्राचार्यों का कहना है कि उनके स्कूल में कोई काम नहीं हुआ। इस मामले की एक शिकायत टोंकखुर्द युवा मोर्चा मंडल उपाध्यक्ष विशाल लाठिया के द्वारा लोकायुक्त उज्जैन में की गई थी। शिकायत के आधार पर लोकायुक्त उज्जैन ने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी हीरालाल खुशाल को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस को शिक्षा विभाग द्वारा तामिल भी कराया गया है। हालांकि तत्कालीन डीईओ खुशाल ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार लोकायुक्त पुलिस उज्जैन को जी शिकायत की गई है, उसमें बताया गया है कि बालक उत्कृष्ट विद्यालय टोंकखुर्द, हायर सेकेंडरी स्कूल कांटाफोड़, उत्कृष्ट विद्यालय खातेगांव व कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल कन्नौद में मरम्मत, रखरखाव, रंगाई-पुताई जैसे कोई काम नही हुए है, किंतु 3 कंस्ट्रक्शन कंपनियों को करीब 32 लाख 31 हजार 471 रुपये का भुगतान कर दिया गया। इस प्रकरण में शिकायत अनुसार बिलों में सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन को 12 लाख 48 हजार 954 रुपये, जय मां चामुण्डा इंटरप्राइजेस को 7 लाख 45 हजार 980 रुपये और बालाजी कंस्ट्रक्शन को 12 लाख 36 हजार 537 रुपये का भुगतान किया गया है। जानकारी अनुसार कुछ स्कूलों के प्राचार्यों का कहना है कि नियमानुसार स्कूल प्रबंधन द्वारा कार्य कराया जाना था, किंतु जिला स्तर से एजेंसी तय कर उन्हें भुगतान कर दिया गया है। इस बात की जानकारी तक स्कूल प्राचार्य को नहीं मिली है। कुल मिलाकर इस फर्जीवाड़े की शिकायत के बाद लोकायुक्त पुलिस ने जांच प्रारंभ कर दी है और प्रारंभिक तौर पर फिलहाल नोटिस जारी किए गए है। शिकायतकर्ता विशाल लाठिया ने अपनी शिकायत में लोकायुक्त ने तत्कालीन डीईओ हीरालाल खुशाल के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।
उधर इस मामले में तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी हीरालाल खुशाल का कहना है कि पहली बात तो यह कि भुगतान कोषालय कार्यालय से किया जाता है। मेरे कार्यकाल में इस तरह की कोई अनियमितता नहीं हुई है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरिसिंह सिसौदिया से संपर्क किया गया किंतु उन्होंने प्रतिउत्तर नही दिया। फिलहाल लोकायुक्त उज्जैन इस मामले में जांच कर रही है।