कबीर मिशन समाचार।
(पवन शर्मा)
लोकल ब्रांड के तेल में मुद्रित वजन से कम तेल निकलना आम हो गया है। आमजन इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते है और इसका भरपूर फायदा ये तेल मिल और पैकेजिंग वाले उठा रहे है। fassai और नापतौल विभाग के साथ खाद्य विभाग मूकदर्शक बन कर आमजन को ठगने वालों के सरपरस्त बन बैठे है। दीवाली आते ही बस नाम मात्र की सैम्पलिंग की कार्रवाई कर इन तेल माफियाओं के आगे शरणंगच्छामि हो जाते है।
छोटे पैकेट हो या बड़े तेल के डिब्बे सब मे कम तेल निकलता है। पैसे नेट वेट के लिए जाते है।
इस पैकेजिंग और तेल चोरी के खेल से जबरदस्त मुनाफा कमाकर समाज मे ये बड़े समाजसेवी बने घूमते है।
अभी हाल ही में एक पैकेट तेल का एक रिटेलर से खरीदा, उस पर स्पष्ट 870 + 35 यानी कुल 905 ग्राम प्रिंट था लेकिन जब वजन किया तो उसमें 890 ग्राम ही निकला, जब प्रिंट वजन से कम तेल पाया गया और इस तरह के पूरे खेल का पता चला। जिज्ञासा और बढ़ी अन्य कंपनियों के तेल का भी वजन करा लिया और जो देखा तो सभी मे 15 से 35 ग्राम तक वजन कम मिला। ऐसा ही बड़े पैक में 250 से 490 ग्राम तक तेल कम पाया है।
ऐसे ही नीमच के वीरपार्क रोड़ स्थित एक होलसेलर के गोदाम पर भी इसी तरह से 15 लीटर वाले तेल और घी के डिब्बे में भी 350 ग्राम वजन कम पाया गया है।
वैसे इन तेल माफियाओं पर समय समय पर प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन बस दीवाली के आस पास छोटे रिटेलर्स के यहाँ सैम्पल कर के इतिश्री कर लेते है।
सही बात भी है कि जब कोई आमजन ही आंख मूंदे सब होते देखते रहते है तो दूसरा क्या करे।