(पवन शर्मा)
समाज की रक्षा और आधार बनाए रखना सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी और कर्म है। लेकिन अब इन सब बातों का महत्व सिर्फ औपचारिकता मात्र दिखाई देता है। समाज मे फेल रही कई बुराइयों को देख कर भी आंखे मुंदी जा रही है। जैसे हर जगह खुले आम क्रिकेट सट्टा, अंक सट्टा, जुआ, स्मेक, गांजा आदि बुराइयां आम आदमी को दिखाई देता है, लेकिन जिन्हें दिखना चाहिए उन्हें नही दिखता, या देखकर भी आंखे बंद हो जाती है। बात करे अपने शहर की तो कुछ कतिपय महिला शहर कर एकता कॉलोनी से स्मेक का कारोबार बरसों से कर रही है, क्षेत्र के सभी लोगों को पता है, लेकिन कोई कार्रवाई नही, शहर के कई जगहों पर आसानी से मिलने वाला गांजा स्कूल के पढ़ने वाले बच्चों की पहली पसंद बनता जा रहा है, लेकिन वो भी नही दिखता, रोड़ छाप लोग करोड़ों के बंगले क्रिकेट के सट्टे से बनाकर इन्हें(सरकारी तंत्र) जेब मे रख के घूमते है, लेकिन कोई कार्रवाई नही हो रही। अभी नीमच के नजदीक दो गांवो में लाखों का दाव लगने वाला जुआ अड्डा सबके सामने है पर कोई कार्रवाई नही होती। यदि इन सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाना सरकारी तंत्र का काम नही तो फिर किसका है। इन बुराई के साम्राज्य को संचालित करने वाले कुछ लोगों को संरक्षण मिलना ही सरकारी तंत्र की शह कहा जा सकता है।