जिला राजगढ़ पचोर से सत्येंद्र जाटव
आज पचोर में स्कूलों में जाकर देखा तो शासकीय प्राथमिक गंज स्कूल पचोर में स्वयं की बिल्डिंग टूट जाने के कारण अस्थाई बिल्डिंग नगर पंचायत पचोर द्वारा एक भवन उपलब्ध कराया गया जो की सामुदायिक भवन है उसमें एक भवन में कक्षा एक से कक्षा पांचवी तक के बच्चों को पार्टीशन कर कर पढ़ाया जा रहा है और कक्षा एक से पांचवी तक के केवल तीन शिक्षक ही पांचो क्लास को एक साथ पढ़ा रहा है साल से अधिक हो गया बच्चों को कक्षा पांचवी पास किया लेकिन उनको आज भी मूल अंक सूची प्राप्त नहीं हुई इसी प्रकार शासकीय गांधी बालक माध्यमिक विद्यालय पचोर में भी बच्चों को कक्षा आठवीं की मूल अनुसूची लगभग दो वर्षों में अभी तक नहीं मिली ना ही दलित आदिवासियों के बच्चों को छात्रवृत्ति 2 वर्ष होने के बाद भी नहीं मिली।
शासन प्रशासन इस प्रकार का पक्षपात छात्रों के साथ क्यों कर रहा है यह सोचने वाली बातें और छात्रों के पलक अभिभावक नेता जनप्रतिनिधि अधिकारियों शिक्षकों जनता को भी शिक्षा के क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए गरीब दलित आदिवासी केला चलने वाले रेडी वाले दुकानों पर काम करने वाले किसान मजदूरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं किस प्रकार की शिक्षा उन्हें उपलब्ध हो रही है कैसा वातावरण है क्योंकि शिक्षा ही सारी समस्याओं का हाल है और शिक्षित छात्र आगे चलकर शिक्षित भारत का निर्माण करता है शिक्षित अनपढ़ व्यक्ति अंधभक्त गुलाम और भ्रष्टाचारी वातावरण निर्माण करता है