मूलचन्द मेधोनिया पत्रकार भोपाल
ग्वालियर। बाबू जगजीवन राम समता आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ग्वालियर चंबल संभाग के प्रमुख समाजसेवी जो कि दलित, आदिवासी और पिछड़ों के शुभचिंतक होने के साथ सर्वहारा वर्ग की आवाज उठाने के लिए समर्पित भाव से कार्यरत है। जिन्होंने मध्यप्रदेश सरकार सहित भारत सरकार से अपील करते हुए मांग की है कि वीर मनीराम अहिरवार जी को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा हेतु एक जांच आयोग गठित किया जाये। श्री भारतीय जी ने उक्ताशय में प्रेस के माध्यम से बताया है कि हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के अनेक क्रांतिकारियों ने महात्मा गॉंधी जी के इस आंदोलन से प्रभावित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध अपनी जान की बाजी लगाकर अनेकों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ज्ञात अज्ञातों ने कुरबानी दी है। जिन्हें इतिहास में उजागर तक नहीं किया और न ही कोई सम्मान अभी तक दिया है।
ऐसे ही महान क्रांतिकारी वीर मनीराम जी थे जो कि मध्यप्रदेश के जिला नरसिंहपुर नगर चीचली गोंडवाना राज्य के राजा श्री शंकर प्रताप सिंह जू देव के राजमहल सेवादार थे। जिनके द्वारा चीचली नगर के गोंड राजा को लूटने आने पर शूरवीर मनीराम अहिरवार जी ने अपने अदम्य साहस के बल पर अकेले ही मोर्चा संभाल कर अंग्रेजों से युद्ध किया। अपने सीने पर अंग्रेजों ने अनेक गोली चलाकर मनीराम को रास्ते से हटाने का प्रयास किया। लेकिन निडर निर्भिक मनीराम जी युद्ध में डटे रहे। अंग्रेजों की गोली से अमर शहीद वीर मंशाराम जसाटी जी वीरगति को प्राप्त हुये।जिनकी मौत होने पर मनीराम बहुत ही गुस्से में आ गयें। उन्होंने अपने सीने से कपड़े उतार कर फेंक कर अंग्रेजों को ललकार कि तुम्हारी दम है तो मेरे सीने पर गोली चलाओं, उन पर निशाना बनाते हुये पुनः गोली चलाई गयी। जो बहादुर वीर मनीराम को न लग पास में खडी़ गोरादेवी को लगी। उन्होंने भी युद्ध स्थल पर अंतिम सांस ली।
इस प्रकार वीर मनीराम के अंग्रेजों के मध्य चले युद्ध में दो जान मात्रभूमि के लिए कुरबान हुई। मनीराम ने अंग्रेजी सेना को युद्ध में परास्त कर पत्थरों से लहूलुहान कर गांव से खदेड़ कर विजय हासिल की। बेहद अफसोस कि बात यह है कि इतना बड़ा संघर्ष करने वाले वीर मनीराम इतिहास के पन्नों से नदारद है। बाद में अंग्रेजी सेना पुनः चीचली आकर कुछ लोगों को अपने साथ गिरफ्तार कर ले गये। लेकिन मनीराम जी राजमहल ही भूमिगत होकर गोंड महल की सुरक्षा करते रहे। लोगों की चुगलखोरी के माध्यम से मनीराम को गुप्त रूप में पकड़ा गया। जिनकी गिरफ्तारी किसी भी प्रकार से रिकार्ड में दर्ज इसलिए नही की कि अंग्रेजों द्वारा गोंड महल की आंतरिक और अन्य जानकारी लेना चाहते थे। अंग्रेजों ने बहुत प्रयत्न किया कि महल की जानकारी मिलें। वही मनीराम को लोभ लालच दिया कि तुम अपनी समाज के लोगों को हमारी सेना में भर्ती करों तुम्हें सेनापति बनाने का बोला गया। लेकिन स्वाभिमानी मनीराम ने अंग्रेजों की कोई शर्त नहीं मनी, जिन्हें अंग्रेजों ने अपनी ही गुप्त जेल में दफन कर दिया।
ऐसे महान क्रांतिकारी वीर मनीराम अहिरवार जी के सम्मान को लेकर बाबू जगजीवन राम समता आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गोपीलाल भारतीय ने भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार से अपील की है कि शीघ्र वीर मनीराम अहिरवार जी के आजादी में दिये गये आंदोलन को देखते हुए एक जांच कमेटी आयोग गठित किया जाये। जिसमें अनुसूचित जाति के वरिष्ठ बुद्धिजीवी, शोधकर्ताओं, साहित्यकार, पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और शासकीय सेवा निवृत्त अधिकारी को आयोग में शामिल कर भूले बिसरे शहीदों व मनीराम जी को अविलम्ब सम्मान दिया जाये।
गौरतलब हो कि देश के आजादी अमृत महोत्सव के दौरान अनेकों शोधकर्ताओं , साहित्यकारों, पत्रकारों के माध्यम से वीर मनीराम जी की वीर गाथा सामने आने पर मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपने सोशल मीडिया साइट के माध्यम से नाम उजागर कर नमन किया। इसके उपरांत भी शहीद मनीराम अहिरवार को सम्मान न देना अनुसूचित जाति वर्ग की उपेक्षा है। अत: सरकार इस विषय को तत्काल गंभीरता से विचार कर एक आयोग का गठन करें।