लेखक : गोपीलाल भारतीय (राष्ट्रीय अध्यक्ष) बाबू जगजीवन राम राष्ट्रवादी समता विचार मंच भारत
आजाद हिन्द फौज के साथ आजादी के आन्दोलन में चमार रेजिमेंट का बहुत ही बड़ा योगदान रहा जिसके परिणामस्वरूप देश आजाद हुआ. देश के महान दलित समाज के नेता बाबू जगजीवन राम जो कि आजादी के लिए समर्पित होकर गांधीजी के साथी स्वतंत्रता सेनानी के रुप में काम कर रहे थे. जेल यात्रा कर रहे थे.
वह देश के उप प्रधानमंत्री, बने रक्षा मंत्री रहते हुए भारत/पाकिस्तान युद्ध में कुशल नेतृत्व में विजय श्री भारत को दिलाई. तथा विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालय सकुशलता से संभाल करने देश की उन्नति, विकास पथ पर अग्रसर करने वाले महापुरुष को अभी तक “भारत रत्न” क्यों नहीं? इसी प्रकार हरियाणा राज्य के दलित नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे चमार समाज में जन्में चौधरी चांद राम जीवन को भी अभी तक सम्मान अर्थात “” भारत रत्न “क्यों नहीं
जिस चमार रेजिमेंट ने अंग्रेजी हुकूमत से विद्दोह कर देश की आजादी के लिए आजाद हिन्द फौज के साथ संघर्ष किया उस चमार रेजिमेंट को सम्मान अर्थात” भारत रत्न “क्यों नहीं? और न ही अभी तक बहाली? जबकि अभी तक सैकड़ो राजनेताओं, महापुरुषों को सम्मान के रुप में
भारत रत्न” दिये जा चुके है. उनमें चमार समाज के एक भी महापुरुष को, एक भी राजनेताओं को और तो और भी स्वतंत्रता आन्दोलन के महानायक को “भारत रत्न” क्यों नहीं? क्या इस प्रकार का भेदभाव चमार समाज के साथ घृणा, नफरत का प्रतीक नहीं है? और न ही चमार समाज के महापुरुषों के नाम पर सरकारी योजनाओं के नामकरण क्यों नहीं?
मध्यप्रदेश राज्य के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर मनीराम अहिरवार जी जो की स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान सन 1942 में अंग्रेजी फौज से युद्ध कर गौड़ राजा के महल की सुरक्षा करते हुए अंग्रेजी सेना को मार कर गांव से पूरी अंग्रेजी सेना को खदेड़ने में विजय प्राप्त की थी. वह इस कारण अंग्रेजी फौज के शिकार होकर शहीद हुए. उस चमार समाज के महायौद्दा वीर मनीराम अहिरवार को अभी तक शहीद का दर्जा क्यों नहीं? यह तो इस कौम के महान क्रांतिकारियों के साथ घोर नफरत की भावना प्रतीत होती है. जो की सम्पूर्ण समाज में आज ऐसे मौका परस्त दोगले नेताओं की निंदा का विषय बना हुआ है. देश व प्रदेश में अभी तक जो भी सरकारें रही उन्हें इस कौम के ऐसे महापुरुष का ध्यान क्यों नहीं रखा.
चाहि मध्यप्रदेश राज्य के चमार समाज में जन्में राजनेताओं जैसे कि राजाराम सिंह जी, बाबू अंतमदास जी, बाबू मंगल सिंह जी, दुर्गा दास सूरवंशी जी, हीरालाल पिप्पल साहब जी, सज्जन सिंह विशवनार आदि चमार कौम के महान क्रांतिकारी नेताओं को सम्मान अर्थात उनकी प्रतिमाएं तक शहरों में स्थापित क्यों नहीं? जबकि अन्य समाजों के स्थानीय नेताओं की प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी है।
इस तरह चमार समाज के हिंदू सनातन धर्म के महान संत शिरोमणि गुरु रविदास जी महाराज जैसे ज्ञानी संत ने जन्म लेकर देश में एकता, भाईचारा, सौहार्द्र बनाकर कुरीतियों का उन्मूलन कर सनातन संस्कृति की रक्षा की है. तथा शांति के संदेशवाहक रहे है जिस कौम के महापुरुषों, राजनेताओं, स्वतंत्रता आन्दोलन के महानायकों को सम्मान दिये बिना भारत कैसे हिंदू राष्ट्र बनाया जा सकता है. चमार समाज भी हिन्दू सनातन धर्म व संस्कृति का अभिन्न अंग है फिर उनके साथ घृणा, नफरत का भाव रखते हुए हिंदू एकता कैसे हो सकती है,
चमार कौम हिन्दू तीज, त्यौहार, उपासना कर हिंदू धर्म को बड़े भाव से धर्म मानती है, और समर्थन भी करती आ रही है. भले ही, यह कौम अपने दलितों के उध्दार बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर जी को जिन्होंने भारतीय संविधान में अधिकार देकर जीने का हक दिलाया उन्हें भी प्रमुखतः से जन्म उत्सव बड़े पैमाने पर मनाकर खुशियाँ मनाती है लेकिन वास्तविक रूप से वह हिन्दू संकृति को मानना नहीं भूलते समय रहते इस कौम का सम्मान करना समीचीन है. चमार कौम का इतिहास के पन्नों में, स्वाभिमान एवं बहादुरी समाज का रहा है तभी देश आजाद हुआ जिनके महापुरुषों का सम्मान होना आवश्यक है. इस कौम से नफरत व घृणा रखते हुए देश कभी भी हिन्दू राष्ट्र नहीं बन सकता अत:बराबरी का भाव, मान-सम्मान चमार समाज के महापुरुषों को दिया जाना चाहिए.