कुंभराज- बड़े ही हर्ष का विषय है कि प्रति वर्षानुसार इस वर्ष भी संत शिरोमणि श्री रविदास मंदिर ट्रस्ट वार्ड नंबर 01 कुंभराज पर श्री रवि ज्योति सत्संग ट्रस्ट समिति द्वारा श्री रविदास रामायण दिनांक 12/09/2024 से दिनांक 18/09/2024 तक समय रात्रि 8 बजे से रात्रि 11 बजे तक आयोजित की गई । रामायण का शुभारंभ मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक श्री रामदयाल खरे द्वारा संत शिरोमणि श्री रविदास जी को माल्यार्पण कर किया गया l
श्री रविदास रामायण का वाचन प्रवक्ता श्री राजू खरे के मुखारबिंद से संगीतमय और बहुत ही सुन्दर शब्दों में किया गया।
समिति के सदस्यों द्वारा मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक श्री रामदयाल जी खरे एवं मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री शिवलाल बारोलिया जी का माला पहनाकर स्वागत सम्मान किया गया। mकथा में मुख्य रूप से संत श्री रविदास जी के जीवन एवं संघर्ष की व्याख्या की गई जिसमे बताया गया है कि महाराज यदु की 28 वी पीढ़ी में सुरसेन,17 वी पीढ़ी में चंवर सेन हुए। और इनकी तेतालीसवी पीढ़ी में हरिनंदन हुए जिन्होंने अपना गुरु सानंदन मुनि को बनाया।भक्त श्री हरिनंदन के पुत्र राहु हुए।
भक्त राहु महाराज जी के घर मां कर्मा जी के माघ पूर्णिमा को श्री रविदास जी का जन्म हुआ। जिनके गुरु श्री रामानंद स्वामी जी थे।इस प्रकार का वर्णन श्री रविदास रामायण में मिलता है।
आगे कथा में श्री रविदास जी के गंगा स्नान से लेकर कही घटनाओं का वर्णन मिलता है जिसमे ब्राह्मणों से ज्ञान गोष्ठी और गंगा पर सालिग राम का तैराना। जिसमे पंडितो के सलिग राम पानी में डूब जाना और संत श्री रविदास जी का सलिगराम पानी में तैर जाना और गंगा घाट पर गंगा महारानी द्वारा साक्षात प्रकट होकर चोगनी लेना एवं श्री रविदास जी के लिए कंगन देना जैसी कथा का वर्णन मिलता है। कथा में संत श्री रविदास जी की, परीक्षा लेने और ज्ञान गोष्ठी करने के लिए कही संत जन पहुंचे जिसमे मुख्य रूप से कबीरदास जी , श्री गोरख नाथ जी आदि । कबीर दास जी की बेटी कमाली एवं महाराज राणा की बेटी मीरा बाई ने श्री रविदास जी को अपना गुरु बनाया । सिकंदर बादशाह के द्वारा रविदास को बंदी बनाया गया जहा पर श्री कृष्ण भगवान द्वारा श्री रविदास जी को साक्षात दर्शन देना। जिससे लोधी सिकंदर गुरु रविदास जी के चरणों में झुकना।
वही कथा के अंत में चितौड़ की महारानी योगावती ने श्री रविदास जी को अपना गुरु बनाया ।आदि कथा का वर्णन सुनने को मिला। दिनांक 18 सितंबर बुधवार को कन्या भोज के साथ समापन हुआ जिसमे बड़ी ही संख्या मैं श्रद्धालुओ ने कथा का श्रवण किया।
श्री रविदास रामायण का आयोजन मुख्य रूप से श्री रविदास मंदिर ट्रस्ट के पुजारी श्री प्रेमनारायण खरे,श्री रामदयाल खरे जी, श्री शिवलाल बारोलिया जी,श्री रामचरण ठेकेदार जी आमल्या ,श्री सुखलाल जी डा साहब, श्री रामस्वरूप जी शिक्षक, श्री मुरारी लाल जी शिक्षक, श्री रामस्वरूप जी बारोलिया, श्री राधे श्याम जी ठेकेदार, श्री रामभरोषा जी,श्री बद्रीलाल जी मंडेलिया श्री बद्रीलाल जी ,श्री इमरत लाल जी,श्री सुरेश ठेकेदार, श्री माधोलाल ठेकेदार ,श्री धनराज खरे , श्री रामेश्वर, आदि द्वारा की गई। कार्यक्रम का संचालन हरिकिशन खरे द्वारा किया गया।