शिव महापुराण से विवेक की जागृति होती-कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य।
कबीर मिशन समाचार जिला सीहोर।
सिहोर से संजय सोलंकी की रिपोर्ट। सीहोर। कथा से मनुष्य को जीवन जीने की सीख मिलती है। सावन मास में शिव महापुराण श्रवण से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। शिव महापुराण से विवेक की जागृति होती है। जब तक मनुष्य के अंदर विवेक नहीं है, तब तक परमात्मा को पाना संभव नहीं है। उक्त विचार शहर के पटेल कालोनी में आयोजित संगीतमय शिव महापुराण कथा में कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने कहे। कथा के दौरान मंच पर आए कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा का यहां पर महिला मंडल ने स्वागत किया।कथा के दौरान पंडित राहुल ने भगवान गणेश के जन्म के अलावा गंगा और भागीरथ के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने मां गंगा की महिमा की चर्चा करते हुए कहा कि गंगा एक देव नदी है यानी ये स्वर्ग से धरती पर आई है। पुराने समय में राजा भगीरथ ने तप करके ब्रह्माजी से गंगा को धरती पर भेजने का वरदान मांगा था। इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं। राजा दिलीप की मृत्यु के बाद भगीरथ राजा बने। भगीरथ के पूर्वज राजा सगर के 60 पुत्रों की मृत्यु के बाद उनका उद्धार नहीं हो पा रहा था। अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए राजा भगीरथ ने देव नदी गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तप किया था।भगीरथ ने सबसे पहले ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया। जब ब्रह्मा जी प्रकट हुए तो उन्होंने वरदान मांगने के लिए कहा। भगीरथ ने वरदान मांगा कि मैं मेरे पूर्वज सगर के पुत्रों के उद्धार के लिए स्वर्ग से देव नदी गंगा को धरती पर लाना चाहता हूं। गंगा के जल से मेरे पूर्वजों को मुक्ति मिलेगी, नया जीवन मिलेगा और मुझे भी एक पुत्र की प्राप्ति होगी।