मंदसौर से राहुल मेहर की खास खबर
मंदसौर। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा में कहीं गई एक बात पर बवाल खड़ा हो गया। जिसे लेकर मंदसौर जिले में सोशल मीडिया के माध्यम से विरोध प्रकट किया जा रहा है, तो वहीं प्रीति बिरला ने भी अपना बयान जारी किया। पंडित प्रदीप मिश्रा से इस बयान को लेकर माफी मांगने की मांग भी की जा रही है।दरअसल, देश भर में विख्यात पंडित प्रदीप मिश्रा अब मंदसौर में अपनी कथा का वाचन करने वाले हैं। मंदोदरी शिव पुराण के नाम से होने वाली इस कथा के माध्यम से वे ज्ञान की गंगा बहाएंगे। लेकिन इसके पहले उनकी अशोकनगर में गई हुई कथा में कहीं बात पर बवाल खड़ा हो गया।
अशोक नगर में कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि, मंदसौर जिले के अंतर्गत छोटी-छोटी लड़कियां-बेटियां देह व्यापार कर रही है। उस देह व्यापार को रोकने के लिए, और उस देह व्यापार को रोककर उन बेटियों को पढ़ाना लिखाना औऔरतीनउनकों अच्छी पर्वरिश देकर उनका घर बसाने के लिए ये पावन मंदोदरी शिव महापुराण की कथा रखी है। जिसका नाम मंदोदरी रखा है। उन्होंने यह भी कहां कि, वो मंदोदरी के नाम से एक सती के नाम से एक शिव भक्त मंदोदरी के नाम से कम से कम उस क्षेत्र की बेटियां सुधर सकें। और अपने जीवन को धन्य बनाएं, और अपने इस अनमोल जीवन को पहचाने। मदसौर मैं कथा करने जा रहे हैं, और इस कथा को कराने का उद्देश्य मंदसौर की बेटियों से देह व्यापार को छुड़वाना है।
सोशल मीडिया पर पंडित प्रदीप मिश्रा के बयान का जमकर विरोध हो रहा है।वहीं प्रीति बिरला ने भी अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि, पंडित प्रदीप मिश्रा ने मंदोदरी शिव पुराण देकर मंदसौर को जो सम्मान दिया। उसके लिए धन्यवाद। पर
मंदसौर की माताओं और बहनों को देह व्यापार वाली बता कर आपने मंदोदरी शिवपुराण की कथा सुनकर मंदसौर की बेटियों को देह व्यापार छोड़ने की जो बात कही है। वह निश्चित ही पूरी नारी शक्ति का अपमान है।प्रीति बिरला ने अपनी पोस्ट और मीडिया को बयान में पंडित प्रदीप मिश्रा से मंदसौर की समस्त नारी शक्ति और बेटियों से माफी मांगते हुए अपने शब्दों को वापस लेनेe की बात कही और लिखी है।
मंदसौर की भूमि की पहचान पशुपतिनाथ महादेव के मंदिर, दुधाखेड़ी माता के मंदिर, एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गांधी सागर और कैंसर जैसी बीमारी का इलाज करने वाली अफीम से है, ना कि देह व्यापार से। पंडित प्रदीप मिश्रा को ऐसे लोगों ने जो जानकारी दी है। उन्हें इसका मंथन करना चाहिए। पंडित प्रदीप मिश्रा की यह बात निंदनीय है।