जबलपुर। कबीर मिशन सामाचार
प्राकृतिक न्याय और निष्पक्ष बैच क़ी मांग क़ी याचिका पर भड़का सुप्रीम कोर्ट ने किया भारी जुर्माना।
हाईकोर्ट जबलपुर मे ओबीसी प्रकरणों की निष्पक्ष बैच क़ी मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे दायर याचिका क़ी सुनवाई से इंकार करते है लगाया भारी जुर्माना ।
लोकेंद्र गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल करके जबलपुर हाईकोर्ट मे न्यून्ट्रल बैच गठित करने क़ी मांग क़ी थी।
याचिका कर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगने से इंकार करते हुए विधि का प्रश्न निराकृत करने दिया बल्कि जो भी जुर्माना लगाना है लगा दो लेकिन याचिका मे उठाए गए मुद्दे को कर दो निराकृत।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ऋषि केश राय एवं जस्टिस पंकज मित्तल ने याचिका निराकृत करने से इंकार करते हुए लगाई हेवी काष्ट
अधिवक्ता कि बहस आरम्भ होने के पूर्व ही सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाने की दी चेतावनी।
जबलपुर। सोशल मीडिया पर दुसरी बार फिर चर्चा में आए लोकेंद्र गुर्जर, सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी समाज के नेता लोकेंद्र गुर्जर द्वारा एक अपील की गई। जिसमें कहा जा रहा है कि ओबीसी आरक्षण की निष्पक्ष जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की बेच ओबीसी आरक्षण पर एससी एसटी के जज नियुक्त करें , जो मामले की सुनवाई निष्पक्ष रूप से कर सके। ओबीसी आरक्षण पर इस तरह की अपील करने पर सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की अव्हेलना की बात करते हुए।
ओबीसी नेता लोकेंद्र गुर्जर की अपील को खारिज कर लगभग 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। इससे पहले लोकेंद्र गुर्जर भोपाल में हुई आरक्षण के समर्थन में विशाल जनसभा के दौरान अपने भाषण के कारण चर्चा में आए थे। लोकेंद्र गुर्जर पर लगाए गए जुर्माने का सोशल मीडिया के माध्यम से जमकर विरोध किया जा रहा है। साथ ही ओबीसी वर्ग जुर्माने की भरपाई करने के लिए लोकेंद्र गुर्जर के समर्थन में आ रहा है। इस तरह के जुर्माने लगाकर न्यायपालिका ओबीसी वर्ग की आवाज को दबाने को काम कर रही है।
सोशल मीडिया पर तरह तरह के तर्क वितर्क का दौर जारी है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में ओबीसी आरक्षण के चल रहे लगभग 80 प्रकरणों की सुनवाई हेतु न्यून्ट्रल बैच गठित करने का लोकेंद्र गुर्जर ने आवेदन दाखिल किया था। जिसे हाईकोर्ट ने दिनांक 20/3/2023 को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि बैच के किसी सदस्य जज पर व्यक्तिगत आरोप नहीं है। उक्त दाखिल आवेदन में मांग कि गई थी कि ओबीसी के 27% आरक्षण को हाईकोर्ट मे चुनौती अनारक्षित वर्ग द्वारा दी गई है। जिसकी सुनवाई प्राकृतिक न्याय सिद्धांतो को दृष्टिगत रखते हुए बैच के किसी सदस्य जज को सामान्य एवं ओबीसी वर्ग का नहीं होना चाहिए।
हाईकोर्ट के आदेश दिनांक 20/3/2023 के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में एस एल पी (c) 9682/2023 दाखिल कि गई। जिसकी सुनवाई दिनांक 17/7/2023 को कोर्ट रूम न.9 में सीरियल क्रमांक 24 पर जस्टिस ऋषिकेश राय एवं जस्टिस पंकज मित्तल के समक्ष जैसे ही केस काल हुआ। कोर्ट ने कहा आप उक्त याचिका को बापिस ले अन्यथा भारी जुर्माने के साथ ख़ारिज कर दी जाएगी । तब याचिका कर्ता के अधिवक्ता उदय कुमार ने कहा माईलार्ड आपको जितना भी जुर्माना लगाना है आप स्वंत्रत है लेकिन मुझे बहस करने दीजिए । क्योंकि इस याचिका में मे मध्यप्रदेश कि आधे से अधिक आबादी के हित अधिकारों का मामला है तथा याचिका में उठाए गए मुद्दों को जनहित में निराकृत किया जाना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट उक्त बात सुनाकर और भड़क गई तथा 15 हजार से बढ़ते बढ़ते दो लाख तथा पांच लाख रूपए तक कि बात कहकर याचिका ख़ारिज करने कि बात कहकर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को नहीं सुना गया। सुनवाई के दौरान AOR वरूण कुमार चौपड़ा ने अपना वकालतनामा वापिस ले लिया।
तब सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचिका लगाए जुर्माने कि बसूली हेतु आगामी तारीख नियत कर दी गई है। ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता उदय कुमार का कहना है कि उक्त आदेश के विरूद्ध रिव्यू तथा क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कि जाएगी।