भोपाल | मणिपुर की राह पर एमपी? कीर समाज को ST का दर्जना देने की घोषणा का विरोध 29 जुलाई 2023 को सीएम आवास पर हुए कीर समाज के सम्मेलन में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कीर समाज को ST [आदिवासी] में शामिल करने की घोषणा की। कीर एमपी में फिलहाल OBC में आते हैं और लंबे समय से ST का दर्जा मांग रहे हैं जिसे चुनावी फायदे के लिए सरकार ने ST में शामिल करने का आश्वासन दिया है। इस घोषणा से प्रदेश के 22% आदिवासियों में रोष व्याप्त है। आदिवासी युवा नेता सुमेर सिंह बडोले कहते है, “चुनावी फायदे के लिए आख़िर प्रदेश को मणिपुर की तरह आग में क्यों झोंकना चाहती है सरकार।”
दरअसल, मणिपुर में मैतेई समाज [घाटी बहुल समुदाय] की मांग थी कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब [ST] का दर्जा दिया जाए और जब हाई कोर्ट ने मैतेई को ST का दर्जा देने की घोषणा की तब से हिंसा जारी है। यह पहली बार नहीं है जब सीएम ने कीर समाज को ST में डालने की घोषणा या अनुशंसा की है। 2018 में कोलारस और मुंगावली विधानसभा उपचुनाव के दौरान सीएम ने कीर सहित मीणा, मांझी और पाटीदार समाज को एसटी में शामिल करने को लेकर बयान दिया था। हालाकि, भाजपा चुनाव हार गई थी।
मध्य प्रदेश सरकार के 2 सितंबर 2016 के आदेश के अनुसार, केंद्र सरकार के निधि एवं न्याय मंत्रालय ने 2002-03 में कीर समाज सहित मीणा और पारदी समुदाय को एसटी स्टेटस से बाहर कर दिया गया था और रिजर्वेशन देने पर रोक लगाई थी। तब से यह समाज ST में शामिल करने की मांग कर रहे हैं जिसे वक्त बेवक्त सरकार चुनावी फायदे के लिए हवा देती रहती है।