तहसील गरोठ जिला मंदसौर
कबीर मिशन समाचार पत्र गरोठ
सुरेश मेहर संवाददाता गरोठ
श्रावण मास में आस्था है कि नाथजी महाराज की जाग्रत समाधी के दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती.
गरोठ सावन मास में महादेव के दर्शन के लिए दूरदराज सेआरहे दर्शनार्थी उप जिला गरोठ मुख्यालय पर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र में विधानसभा क्षेत्र में गंगा ( चंबल नदी) के समीप गरोठ तहसील से करीबन 23 किलो मीटर दूरी पर ग्राम खड़ावदा के पास अति प्राचीन चमत्कारी स्थल मलकाना के समीप नीलकंठेश्वर महादेव के नाम से जाना पहचाना जाता है।श्रावण मास में रोजाना पूजन अर्चन के साथ अनुष्ठान किए जाट है। प्राचीन स्थल जो सेकड़ो वर्ष पुराना मंदिर ओर बिल पत्र का प्राचीन पेड़ सबसे पुराना शिव मंदिर जो बिल पत्र वृक्ष के नीचे बना हुआ। कुछ भक्त बताते है कि शिव रात्रि ओर श्रावण मास के सोमवार को रात्री के समय ॐ की धीमी-धीमी आवाज सुनाई देती जैसे कोई तपस्या में लिए उच्चारण कर रहा हो।श्रावण मास में दूर दराज से शिवभक्त कावड़ लेकर जल चढ़ाने आते है। इसके नजदीक नदी के पास राडी वाले बालाजी का चमत्कारी मंदिर जहाँ भी मंगलवार ओर शनिवार को सेकड़ो भक्त जन आते है। मलकाना के समीप दोनो सबसे पुराने मंदिर के दर्शन कर आस पास बने तालाब ओर नदी सहित पहाड़ी इलाके ओर घने जंगल का लुप्त उठाते है।
वर्षभर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते-
प्रसिद्ध चमत्कारी महादेव मंदिर पर मप्र राजस्थान सहित अन्य क्षेत्रों से काफी दूरदराज से भक्तगण आते हैं यहां पर आने वाले भक्त गणों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है ।मिली जानकारी के अनुसार मलकाना में करीबन 100 वर्ष पूर्व श्री श्री 1008 हीरानाथ जी महाराज ने ,जीवित अवस्था में समाधि ली गई थी इस चमत्कारी समाधि तथा महादेव के दर्शन लाभ हेतु अनेक प्रांतों से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं बताया जाता है कि यहां पर जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मनोकामनाएं लेकर आता है उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।बताया जाता है कि इस स्थान पर श्री हीरा नाथ जी ने लगातार 12 वर्ष तक मौन तपस्या में लीन रहने के बाद जीवित अवस्था में ही समाधि ले ली गई थी।वर्तमान में इस स्थान पर बाबा बालक नाथ यहां पर विराजित है आपने बताया कि पूरे भारतवर्ष में ऐसे तीन समाधि स्थल है जिसमें पहला स्थल मंदसौर जिले के मलकाना दूसरा स्थल रोहतक हरियाणा तथा तीसरा नीमच जिले के कुकड़ेश्वर में स्थित है इस स्थान पर सावन माह में विशेष महत्व रहता है काफी दूरदराज से कावड़ यात्री यहां आकर समाधि के दर्शन कर भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
मंदिर ओर समाधी स्थल पर काले वस्त्र पहनकर प्रवेश होता – पुरानी परंपरा ओर मंदिर के पुजारी अनुसार बताया जाता कि मंदिर परिसर मे कोई भी महिला प्रवेश नहीं कर सकती तथा समाधि को नहीं छु सकती, यह भी बताया जाता है कि इस मंदिर के अंदर रेबारी समाज सहित अन्य महिलाएं तभी प्रवेश कर सकती है जिसने काले कपड़े पहने हो यदि गलती से बिना काला कपड़े पहने प्रवेश कर लिया जाता है तो समाधि स्थल से अपने आप वह महिला मंदिर परिसर से बाहर हो जाती है। खड़ावदा क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध ओर चमत्कारी जाग्रत स्थान जो श्रावण मास ओर शिवरात्रि पर सबसे ज्यादा संख्या में भक्त आते ओर भजन कीर्तन कर जागरण करते है।