सुप्रीम कोर्ट का फैसला (1 अगस्त 2024):सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण में उप-वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) को मंजूरी दी। हालांकि यह फैसला सीधे ओबीसी पर लागू नहीं है, लेकिन इसने आरक्षण की नीति में बदलाव की दिशा दिखाई। कोर्ट ने अपने 2004 के फैसले
(ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश) को पलटते हुए कहा कि राज्य सरकारें जरूरतमंद उप-समूहों को आरक्षण का लाभ देने के लिए सब-कैटेगरी बना सकती हैं। इस फैसले में यह भी कहा गया कि क्रीमी लेयर का सिद्धांत एससी/एसटी पर भी लागू हो सकता है, जैसा कि ओबीसी पर होता है।
इससे ओबीसी आरक्षण की संरचना पर भी अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।दिल्ली में ओबीसी आरक्षण (23 अगस्त 2024):सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल जातियों को दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की नौकरियों में आरक्षण का अधिकार है।
यह मामला तान्या अंसारी से जुड़ा था, जिन्हें डीएसएसएसबी ने ओबीसी आरक्षण से वंचित कर दिया था। कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और डीएसएसएसबी की अपील खारिज कर दी।बिहार में 65% आरक्षण पर पटना
हाईकोर्ट का फैसला (19 जून 2024):पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस कानून को रद्द कर दिया, जिसमें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), एससी और एसटी के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाकर 65% की गई थी। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया,
क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी फैसले (1992) में निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता था। यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हो सकता है।मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण:मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का
प्रस्ताव लंबे समय से चर्चा में है। 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे लागू करने की कोशिश की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रोक दिया। 2025 तक इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं आया है, और मामला अदालतों में विचाराधीन है।
ओबीसी समुदाय लगातार इसकी मांग कर रहा है, क्योंकि राज्य में उनकी आबादी 50% से अधिक बताई जाती है।निष्कर्ष:पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर स्थिति राज्य और संदर्भ के आधार पर भिन्न है। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी को केंद्रीय सूची के
आधार पर आरक्षण देने की पुष्टि की है, लेकिन 50% की सीमा को पार करने वाले फैसलों (जैसे बिहार में) को चुनौती मिल रही है। यदि आप किसी विशिष्ट राज्य या फैसले के बारे में जानना चाहते हैं, तो कृपया और स्पष्ट करें। क्या आप किसी खास मामले की बात कर रहे हैं?