आगर मालवा
कबीर मिशन समाचार
प्रथम रांगोली स्वच्छता अभियान पर आधारित जो देश और दुनिया को अपनी वसुंधरा को स्वच्छ रखने तथा उसे हरी-भरी बनाए रखने व लाखों बीमारियों से बचने का संदेश बच्चों को देने का प्रयास किया गया दूसरी रांगोली नशा मुक्ति अभियान से संबंधित थी इसके द्वारा नशा मुक्त भारत बनाने का प्रयास भारत सरकार तथा मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से 2 अक्टूबर गांधी जयंती से 30 नवंबर तक यह अभियान स्कूलों में गीत कविता नाटक नुक्कड़ नाटक पेंटिंग रंगोली स्लोगन रेलियों के द्वारा शिक्षक द्वारा गतिविधियां कराई गई।
तथा आज इस रंगोली से विश्व के जन-जन तक तथा समस्त छात्र छात्राओं को नशे से दूर रहकर अपने तन मन धन को सुरक्षित करने का संदेश दिया गया तीसरी रंगोली दौरी पूजन या बेल पूजन की बनाई गई जो भारतीय संस्कृति को समृद्ध साली बनाने का संदेश देती है आज भारत के लोग गौ माता को भूलने लगे हैं जिसका दुष्परिणाम हम सब देख रहे हैं खाद में केमिकल उर्वरक तथा दवाई में जहरीली दवाइयां तथा मशीनों से हँकाई जुताई कटाई से हमारी भूमि ऊसर और जहरीली हो गई अगर हम गौ माता पालते हैं तो हमें दूध, दहीं, घीं, गोबर तथा बेल जो खेती में हल जोतते हैं और गोबर से सोना जैसी खाद बनती है फिर हम लंबी उम्र तक जी सकते हैं प्यारे प्यारे बच्चों युवाओं वयोवृद्ध नागरिक बंधुओं माताओं और बेटीयों मैं नवाचारी शिक्षक प्रार्थना करना चाहता हूं की हमारी प्राचीन संस्कृति को बरकरार बनाए रखने का प्रयास करें ।
चौथा परिदृश्य गोवर्धन पूजन का है जिसमें ग्वाल सखियां गौ माता गुर्जर गुजरिया ब्रज का परिदृश्य तथा गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी पूजन की जाती है इसके द्वारा मैं यह संदेश देना चाहता हूं की अहंकार का एक दिन नाश हो जाता है प्यारे बच्चों हमें सहज सरल व्यक्तित्व से सेवा भाव एवं नवीन अन्वेषण के द्वारा भारतीय संस्कृति को समृद्ध शाली बनाना है आज की युवा पीढ़ी हमारी परंपराओं को भूल रही है।
हमारे गीत लोकगीत लोक नृत्य लोक कथा लोक पर्व लोक संगीत लोक कलाएं आदि को छोड़कर नवीन विचारों से जुड़ कर अमर्यादित प्रेम आपसी सहयोग आदर के भाव अपनत्व की कमी सब भूल गए हैं अतः मैं7 नवाचारी शिक्षक होने के नाते पंच दिवसीय इस उत्सव के पर्व पर समस्त छात्र-छात्राओं युवा साथियों भाइयों और बहनों बुजुर्गों सभी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारी भारत सरकार हमारी राज्य सरकार कृत संकल्प है हमारी परंपराओं को बरकरार रखने के लिए टीवी रेडियो आदि के द्वारा पुरानी से पुरानी परंपराओं को कलाकारों को प्रोत्साहित कर प्रदर्शित करवाती है सो हम उनका अनुसरण करें। जय हिंद जय भारत जय भारतीय संस्कृति