231 करोड़ मुआवजा; ‘किंग’ की खुराक यही जहरीले सांप
किंग कोबरा सांपों की सबसे जहरीली प्रजाति होती है। अब इसे मध्यप्रदेश के जंगलों में लाने की तैयारी है। इसकी वजह है कि किंग कोबरा दूसरे जहरीले सांपों को खाता है। दरअसल, मप्र में सांप के काटने से हर साल करीब 3 हजार लोगों की मौत हो जाती है। सरकार एक साल में
औसतन 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का मुआवजा पीड़ितों को बांटती है।
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द रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन जनरल की 6 अगस्त 2024 को पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020 से 2022 के बीच यानी दो साल में मध्यप्रदेश सरकार ने सांप के काटने पर 231 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा था।
इन दो साल में 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।ऐसे में सरकार का मानना है कि किंग कोबरा के आने से पर्यावरणीय संतुलन बनने के साथ सर्पदंश की घटनाओं में कमी आएगी।
पिछले दिनों IFS सर्विस मीट में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वन अधिकारियों को कहा था कि किंग कोबरा एमपी में लाने की दिशा में वे स्टडी करें। इससे पहले वे राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की मीटिंग में भी ये बात कह चुके हैं।वन अमले ने किंग कोबरा को एमपी में लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
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कबीर मिशन न्यूज ने अधिकारियों और एक्सपर्ट से बात की। ये समझा कि किंग कोबरा को लाने की क्या प्रोसेस की जा रही है, वहीं एक्सपर्ट से जाना कि किंग कोबरा आने से क्या सर्पदंश की घटनाओं में कमी आ पाएगी…
पढ़िए रिपोर्ट
जानिए, सीएम ने वन महकमे के अफसरों से क्या कहामप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 10 जनवरी को आईएफएस सर्विस मीट की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘
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अब टाइगर के साथ किंग कोबरा की जरूरत है। 2003 से 2021 की तुलना में एमपी का जंगल 1 हजार 63 वर्ग किमी बढ़ा है।
भोपाल देश की ऐसी राजधानी है, जहां दिन में सड़कों पर आदमी चलते हैं और रात में टाइगर।
सरकार क्यों लाना चाहती है किंग कोबराइसका जवाब भी मुख्यमंत्री ने आईएफएस सर्विस मीट में दिया था। सीएम ने कहा था कि किंग कोबरा, जो पहले मध्यप्रदेश के जंगलों में पाया जाता था, अब राज्य से गायब हो चुका है। इसके जंगलों में वापस लौटने से न केवल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी
बल्कि दूसरे सांपों की बढ़ती तादाद को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।डिंडौरी में एक साल में सांपों से हो रही 200 मौतसीएम डॉ. मोहन यादव ने अपने बयान में डिंडोरी जिले का जिक्र करते हुए कहा- पिछली सरकार में जब मैं डिंडोरी जिले का प्रभारी मंत्री था तो पता चला कि यहां एक साल में 200 लोग सर्पदंश से मर जाते हैं।
सरकार को सबसे ज्यादा क्षति सर्पदंश के बाद देने वाले मुआवजे से होती है।किंग कोबरा की वापसी से न केवल सांपों की संख्या में संतुलन आएगा बल्कि यह पूरी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी लाभकारी होगा।
जैसे टाइगर की वापसी से बाकी जानवरों की संख्या में संतुलन बनता है, वैसे ही किंग कोबरा भी अपनी मौजूदगी से जंगल के अन्य सांपों की संख्या नियंत्रित करेगा, जिससे सर्पदंश की घटनाओं में कमी
आएगी।डब्ल्यूआईआई से करवा रहे सर्वेसीएम के निर्देश के बाद वन अमले ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुभरंजन सेन कहते हैं कि डब्ल्यूआईआई
(वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) को सर्वे के लिए कहा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी कि मप्र के जंगल में किंग कोबरा को लाया जा सकता है या नहीं।ईको सिस्टम और जंगल की क्वालिटी सुधरेगी वन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुदेश वाघमारे कहते हैं कि हजारों साल पहले जब मध्यप्रदेश का तापमान कम रहा होगा,
तब किंग कोबरा यहां पाया जाता होगा। एक तरह से वो मध्यप्रदेश का वन्य प्राणी हो गया। किंग कोबरा को सर्वाइव करने के लिए ठंडा मौसम जरूरी है।सर्पदंश के मामलों में कमी को लेकर कोई स्टडी नहींवन विहार के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर सुदेश वाघमारे कहते हैं किंग कोबरा को लाने से सर्पदंश में कमी आएगी, ऐसी कोई स्टडी नहीं की गई है।
लेकिन ये सही है कि जहां किंग कोबरा रहते हैं, वहां दूसरे जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित रहती है।
¶¶किंग कोबरा दूसरे सांपों को ही खाता है।उनसे पूछा कि जिस राज्य में किंग कोबरा है, क्या वहां सर्पदंश के मामले में कमी आई है तो बोले- मेरे नॉलेज में ऐसी कोई स्टडी नहीं की गई है।¶¶
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