भिंड / जिले में कई प्राइवेट स्कूल ऐसे जिनका मकसद होता हैl लोगों को लूटना उनसे फीस के नाम पर कभी पुस्तकों के नाम पर अभिभावकों को लूटा जा रहा हैl पैसे का कोई निश्चित नियम नहीं है l कितनी फीस हैl कितने पैसे यह कोई लेखा-जोखा नहीं जितना मन होगा इतना बता देते हैंl इस प्रकार शिक्षा के नाम पर गरीब अभिभावकों पर ढाका डाला जा रहा हैl प्राइवेट स्कूल संचालक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से उनके अभिभावकों पर दवाव् बनाते हैंl कि हम जहां से बोले वहां से बच्चों के लिए किताबें खरीदना पड़ेगा इस प्रकार की बच्चों को फंसा लेते और अच्छी पढ़ाई के नाम पर एक दुकान होती हैl जिनका कमीशन बना होता हैl इस पर से किताबें खरीदनी पड़ती हैl
इस प्रकार की धांधली खुलेआम देखी जा सकती हैl एक दुकान पर खरीदना पड़ती हैl पुस्तक यह व्यवस्था प्राइवेट स्कूलों की हैl जहां पर स्कूल संचालक पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों को लूटने का काम कर रहे हैंl और कहते हैंl हम जहां से बोले वहीं से किताबें खरीदने पड़ेगी नहीं तो हम आपकी बच्चों को एडमिशन नहीं देंगे इस प्रकार की धमकी भरी बातें अभिभावकों से बोलते हैंl लेकिन मजबूरी बस अभिभावाक किताब खरीदने के लिए तैयार हो जाते हैंl क्योंकि उनका कमिशन बना रहता हैl जिस वजह से वह दवाव् बनाते हैंl लूट का अड्डा बन चुके हैं प्राइवेट स्कूल / प्राइवेट स्कूल वाले संचालक खूब प्रचार प्रचार करते हैंl कि हम आपके बच्चों का उज्जवल भविष्य करेंगे यह सब वादे झूठे होते हैंl स्कूलों में जाकर देखा जाए कभी भी नियमित क्लास नहीं लगती नहीं पढ़ाई होती है l
इस प्रकार पढ़ाई के नाम पर बच्चों को गुमराह किया जाता है l स्कूलों में टाइम पास किया जाता हैl उनका मकसद होता है सिर्फ पैसा कमाना कम सैलरी पर रख लेते हैं लड़कियां टीचर के पद पर अब यहीं से अंदाजा लगाया जा सकता हैl की स्कूलों में किस कदर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैl जब यह कम सैलरी देते हैंl तो क्या यह लड़कियां बच्चों को उचित तरीके से पढ़ा पाएंगे इस प्रकार की धांधली आएं दिन देखी जा सकती हैl कम सैलरी पर क्या यह बच्चों का भविष्य उज्जवल कर देंगे इससे इसको संचालकों को कोई मतलब नहीं है l
उनको तो मतलब होता हैl कम सैलरी पर शिक्षिकाएं मिल जाती है l उनका काम चल जाता हैlबिना मापदंडों के संचालित हो रहे हैं स्कूल भिंड जिले में जितने भी स्कूल संचालित हो रहे हैं गौर से यदि देखा जाए तो कोई भी स्कूल उचित मापदंड नहीं है यह सब स्कूल पैसों के दम पर संचालित हो रहे हैंl क्योंकि रिश्वत ऊपर पहुंचा दी जाती हैl जिससे कोई कुछ नहीं कहता हैl और मनमानी तरीके से स्कूल संचालित हो रहे हैंl और कोई भी वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं करता हैl क्योंकि उनको भी थोड़ा बहुत कमीशन मिल जाता हैl इस प्रकार एक दूसरे की मिलीभगत से सबको कमीशन बट रहा है l
प्राइवेट स्कूल वालों के पास नहीं बच्चों के खेल का मैदान, आखिर समझ में यह बात नहीं आती हैl की बस स्कूल जब खुलता हैl जब बच्चों के लिए उनके स्वास्थ्य के लिए खेल का मैदान अति आवश्यक हैl लेकिन कई ऐसे स्कूल मिल जाएंगे जिनको मानता कैसे मिल गई जिनके पास ना तो ठीक तरह के पंखे हैl ना कूलर बच्चों को नहीं हैl कोई सुविधा नहीं हैl फिर कैसे मिल जाती हैl मान्यता