दतिया में राहुलदेव सिंह परमार द्वारा रविवार दिनांक 6 अप्रैल 2025 को होटल हैरीटेज, दतिया में आयोजित किया जा रहा राज्याभिषेक असंवैधानिक एवं सभी सामाजिक नियमों परंपराओं के विपरीत है।
उनके द्वारा कहा जा रहा है कि उनकी दादी सास स्व. पदमाकुमारी जू की वसीयत एवं संदेश के अनुसार राज्याभिषेक हो रहा है। यह तथाकथित वसीयत कूट रचित है क्योकि इन्ही के द्वारा कुछ वर्ष पूर्व स्व. पदमाकुमारी जू की एक वसीयत एक प्रकरण में प्रस्तुत की गई थी जोकि बाद में निरस्त एवं शून्य मानी गई। सभी सामाजिक परंपराओं एवं नियमों तथा राजपरिवार की परंपराओं के अनुसार परिवार में अनैक पुरूष होने पर किसी बाहरी व्यक्ति क्ष्दामाद
ध्भानेज आदिद्व को पगड़ी रस्म अथवाध् तिलक रस्म अथवाध् राजतिलक नहीं किया जा सकता। और न ही किसी की वसीयत के आधार पर ही राजतिलक किया जा सकता है।कथित वसीयतकर्ता केा उक्त संबंध में कोई अधिकार ही नहीं है। वह केवल अपनी संपत्ति की वसीयत कर सकती है।
दतिया नरेश स्व. महाराजा गोविंद सिंह जूदेव के निधन पर परंपरानुसार उनके ज्येष्ठ पुत्र स्व. महाराजा बलभद्र सिंह जूदेव एवं उनके निधन पश्चात उनके ज्येष्ठ पुत्र स्व. महाराजा कृष्णसिंह जूदेव एवं उनके निधन पर उनके ज्येष्ठ पुत्र स्व. महाराजा राजेन्द्र सिंह जूदेव एवं निधन पर उनके ज्येष्ठ पुत्र महाराजा,अरूणादित्यदेव का राजतिलक एवं पगड़ी रस्म हुई थी।
अतः वर्तमान में महाराजा अरूणादित्यदेव को ही दतिया राजपरिवार, समस्त क्षत्रिय समाज एवं आम जन द्वारा महाराजा के रूप में माना जाता है।दतिया रियासत के समय में तत्कालीन महाराजा गोविंदसिंह जूदेव द्वारा अपने छोटे पुत्र श्री जसवंत सिंह जूदेव को रावराजा का खिताब प्रदान कर नदीगांव की जागीर दी गई थी।
नदीगांव का किला समेत दतिया, मुम्बई में अनैक बड़ी सम्पत्तियां एवं कृषि भूमि दे दी गई थी। क्योंकि वह परंपरा को जानते थे कि उनके बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र स्व. बलभद्र सिंह जूदेव को राजगददी के साथ ही उनकी समस्त संपत्तियां मिलेगी। और ऐसा ही हुआ भी।
उक्त राहुलदेव सिंह परमार एक अतिमहात्वाकांक्षी एवं अस्थिर बुद्धि के व्यक्ति है। वह कभी डांसर थे तथा इस लाइन में बहुत आगे बढ़ने की महात्वाकांक्षा थी, कुछ समय फिल्म लाइन में भी स्थापित होने का प्रयास किया, असफल होने पर राजनीति में आए वहां भी असफल हुए तो अध्यात्म की ओर बढ़े
और स्वंय केा महामंडलेश्वर कहने लगे। अब अचानक उन्हें दतिया का महाराजा बनने की नई सनक सवार हुई है। इनके द्वारा कहा जा रहा है कि दतिया का महाराजा बनते ही नई जागीरें देकर अनैक लोगों केा दतिया राज्य का जागीरदार बनाएंगे। जबकि वह स्वंय भूमिहीन है एवं उनके पिता स्व. कृष्णपाल सिंह
जी भी अपने जीवनकाल में ही सारी कृषि भूमि बेचकर भूमिहीन हो चुके थे। देश आजाद होने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। देशी रियासतों का विलय हुए 78 वर्ष हो चुके है, भारत का संविधान लागू हो
चुका है। ऐसे में कोई स्वंय को रियासत का महाराजा घोषित करे यह संविधान के विपरीत है तथा भारत गणराज्य को चुनौती देना है, जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। यदि यह उक्त राज्याभिषेक का कार्यक्रम करते है तो इनके विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।