मंदसौर से ,राहुल मेहर
मंदसौर: एक सफाई कर्मचारी को पिछले छह माह से नौकरी से निकाल दिया गया है। आज, उसका पूरा परिवार नगरपालिका गेट के बाहर प्रदर्शन करने के लिए धरने पर बैठा है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, लाडली बहना जैसी नारों को आईना दिखा रहे हैं नगरपालिका के अधिकारी।
देश में सफाई कर्मचारियों की भूमिका एक अत्यंत महत्वपूर्ण है, और वे स्वयं को हमेशा समाज की सेवा में समर्पित करते हैं। इन सफाई कर्मचारियों की जिंदगी खुदगर्जी और कठिनाईयों से भरी होती है, जिससे उन्हें अक्सर सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम एक ऐसे सफाई कर्मचारी के बारे में चर्चा करेंगे जिसे नगरपालिका के अधिकारियों ने नौकरी से बर्खास्त किया है, और उसके परिवार को भी आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। अरुण, बर्खास्त सफाई कर्मचारी
सफाई कर्मचारी अरुण को नगरपालिका के स्वास्थ अधिकारी द्वारा पिछले छह माह पूर्व नौकरी से निकाल दिया गया था। छह माहों तक उसने अपनी तीन बेटियों और एक बेटे सहित परिवार का पालन-पोषण किया, लेकिन अब उसकी हालत काफी खराब है और वह अपने परिवार को नहीं पाल सक रहा है। इस कारण से वह आज नगरपालिका के स्वास्थ अधिकारी के खिलाफ नगरपालिका कार्यालय के बाहर ही परिवार सहित धरने पर बैठ गया है।अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए अरुण का संघर्ष
अरुण और उसके परिवार के इस संघर्ष से पता चलता है कि सफाई कर्मचारियों की जिंदगी कितनी मुश्किलों से भरी होती है। वे रोज़गार के इस मुद्दे का सामना करते हैं। अरुण भी एक साधारण सफाई कर्मचारी है, जो नगरपालिका के कचरा उठाने का काम करता था। छह माह पहले नगरपालिका द्वारा अचानक उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया, जिससे उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बिलकुल बिगड़ गई।नगर पालिका कार्यालय के बाहर प्रदर्शन
मंदसौर नगरपालिका के अधिकारियों की हट धर्मिता के कारण, कई सफाई कर्मचारियों के परिवार भी धरने पर जुटने की मंशा रखते है ।
नगरपालिका में muster roll में कई दबंगों के नाम चढ़े हैं, लेकिन जो वास्तविकता में मजदूरी करना चाहते हैं, उन्हें पूरी तरह से अधिकारियों की सहायता नहीं मिल रही है। इससे वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने का फैसला कर रहे हैं और नगरपालिका के सामाजिक न्याय के लिए धरना दे रहे हैं। इस धरने के साथ अरुण ने नगरपालिका के अधिकारियों को जिम्मेदारी महसूस कराने का प्रयास किया है।अन्य सफाई कर्मचारियों की भागीदारी
अरुण के साथ कुछ अन्य सफाई कर्मचारी भी उनके साथ धरने पर जुट सकते हैं, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है । वे भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठा रहे हैं और नगरपालिका के अधिकारियों को उनकी आर्थिक स्थिति को समझने की कोशिश कर रहे हैं। इससे उन सभी सफाई कर्मचारियों के बीच एकजुटता और सामाजिक एकता की भावना भी विकसित हो रही है। इन सभी सफाई कर्मचारियों ने एक दूसरे के साथ सहयोग करके एक नया प्रभावी माध्यम ढूंढा है जिससे उन्हें अपने मुद्दे को प्रकाशित करने का मौका मिलता है।नगरपालिका अधिकारियों से सहयोग की कमी
नगरपालिका के सभी कर्मचारियों को इस संबंध में सतर्क रहने की आवश्यकता है और सरकार को इस मामले की जांच करनी चाहिए। विशेषकर फर्जी पगार लेने वाले कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि सबको न्याय मिल सके। सफाई कर्मचारियों को समाज के अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों के साथ बराबरी का सम्मान मिलना चाहिए और उन्हें भी समान वेतन और अन्य सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। इससे सफाई कर्मचारियों के परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे भी समाज के साथ एक समर्थन मिलेगा।सतर्कता और सरकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता
सफाई कर्मचारियों के साथ हो रहे इस धरने ने हमें यह सिखाया है कि हमें समाज के सभी वर्गों के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है। सरकार को इस मामले की गंभीरता से जांच करनी चाहिए और सफाई कर्मचारियों के मुद्दे को हल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। इससे सफाई कर्मचारियों को समाज में सम्मान मिलेगा और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलेगा।
धरने पर बैठे सफाई कर्मचारी अरुण के परिवार की कठिनाईयों ने हमें यह दिखाया है कि सफाई कर्मचारियों का काम न केवल मानवता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके और उनके परिवार के लिए भी। हमें समाज के इस सबसे निम्न तरल पदार्थ के कर्मचारियों के साथ खड़े होकर उनके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है और सरकार को इस बारे में सकारात्मक कदम उठाने की जिम्मेदारी है।