कबीर मिशन समाचार
जिला ब्यूरो चिफ़ पवन परमार
जिला देवास
सोनकच्छ। जीवन की डोर गुरु से शुरू होना चाहिए। क्योंकि गुरु का स्थान शास्त्रों में भी सर्वोपरी बताया गया है। गुरु जीवन मार्ग दर्शक है जिन्होंने अपने जीवन मे संतो का मान सम्मान किया है उनका जीवन हमेशा गौरवशाली हुआ करता है। यह बात मंगलवार सुबह मुनि श्री विनीत सागर जी महाराज ने अपने संघ मुनि विश्वमित सागर जी महाराज के साथ सोनकच्छ नगर आगमन पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए श्री महावीर जिनालय में कही। जानकारी देते हुए प्रवक्ता रोमिल जैन ने बताया कि प्रवचनों के बाद सकल जैन समाज द्वारा मुनि श्री को नगर में चतुर्मास करने हेतु श्री फल भेंट करते निवेदन किया जहाँ गुरुदेव ने मंगल आशीष देते हुए कहा कि में तो शिष्य हु। यहाँ चातुर्मास की आज्ञा तो आप को मेरे गुरु से लेना होगी। शुभ संकेत मिलते ही समाजजन भोपाल में विराजमान मुनि श्री के गुरु आचार्य विनम्र सागर जी महाराज के पास पहुँचे व श्री फल भेंट कर चतुर्मास का निवेदन किया जहाँ गुरुदेव ने सभी को आशीष प्रदान कर चातुर्मास का आस्वाशन दिया। भक्तो ने नारे लगाते हुए कहा हम भक्तो की अभिलाषा सोनकच्छ में हो चौमासा….