शीर्षक – कर्म का फैसला औ! नफरत की राजनीति करने वालों,कब तक यूहीं तुम नफरत फैलाते रहोगे।
झूठे धर्म और राष्ट्रवाद की आड़ में तुम,देश को लूटने खातिर सबको मूर्ख बनाते रहोगे।
देश विकास हित और उत्तम जीवन स्तर,
वास्तविक मुद्दों से जनता को भटकते रहोगे।एक न एक दिन सच्चाई सामने आना है।
आकर रहेगा तब तुम्हारा क्या? होगा कभी सोचा भी है।
प्रभु झूठ का भांडा तो फूटना तय है समझो,ऐसी दशा हो जायेगी इंसानों को बांटने वालों संभल जाओ।
तुम्हारी पकायी खीर कुत्ते भी खाने को तैयार नहीं होगा,प्रकृति का न्याय विधान निष्पक्ष निष्ठुर होता है-
तुम्हारे किये कर्मों का फैसला होगा हैं,नही कभीटलने वाला है जो टल जाएगा।
प्रभु की ✍️ से…………!